मंगलवार, 28 जून 2011

सोचा था एक शेर मै पा-लूं


सोचा था एक शेर मै पा-लूं
बड़े जिगर वाला जो होगा
बचपन से मै प्यार करूँगा
पाल पोष कर बड़ा करूँगा
दूध -हमारा पी कर -पल कर
रीति -नीति मेरी -में घुलकर
एक इशारे में आएगा
चुटकी मेरे बजाते सुनकर
मेरा जिगर वो पढ़ जायेगा
आँख झपकते भाई मेरे
मंशा पूरी कर जायेगा
बड़े जिगर वाला जो होगा
सोचा था एक शेर मै पा-लूं !!
————————————-
जोश होश जब अधिक हुआ तो
करतब छल बल सब दिखलाता
कुछ मेरी जब सुनता था वो
मेरे इशारे दौड़ा जाता
उससे भी आगे बढ़ चढ़ कर
मार झपट्टा फिर वो आता
रोक सकूँ -ना-ताकत मुझमे
बड़े जिगर वाला जो था
सोचा था एक शेर मै पा-लूं
——————————-
मुझसे प्यारे उसके आये
आगे पीछे कुछ मंडराए
पेट भरे-गुण दांव पेंच जो
कुछ मैंने थे उसे सिखाये
धार रखे पैना कुछ करते
“पुडिया” उसको कोई खिलाये
सब्ज बाग़ उसको दिखलाये
हमदर्दी हमजोली देखे
शेर मेरा उस ओर खिंचा था
बेबस मै रोता बैठा था
बड़े जिगर वाला वो जो था
सोचा था एक शेर मै पा-लूं
बड़े जिगर वाला जो होगा
———————————
सोचा था एक शेर मै पा-लूं
बड़े जिगर वाला जो होगा
खुला छोड़ गलती मैंने की
ना पिजरा ना कुछ बंधन था
अब जो उसको आँख दिखाता
चढ़ बैठे छाती गुर्राता
मुझसे प्यारे उसके आते
खिला -पिला संग भी ले जाते
निशा -निशाचर उसको भाते
दिन में मुझको नजर ना आता
आज हमारे छाती चढ़कर
पंजा गाड़े हैं गुर्राता
बहलाऊँ -फुसलाऊँ सारा प्यार दिखाऊँ
पिल्लै से जो शेर बना था -राज बताऊँ
कुछ ना सुनता ..
पंजा उसका चुभता जाता
मन कहता है मार उसे दूं
या उस पर मै बलि बलि जाऊं ??
भ्रमर कहें ये प्रश्न बड़ा है
उत्तर इसका लेकर आओ
चीख हमारी गले दबी जो
आ सब मिल -कुछ तो -सुलझाओ !!
सोचा था एक शेर मै पा-लूं
बड़े जिगर वाला जो होगा …
शुक्ल भ्रमर ५

9 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी नजर में इसका इलाज यही है उस पंजे को नष्ट कर देना चाहिय ...

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  2. मान गए शुक्ल जी आपको क्या कविता आपने लिखी है !

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  3. पिल्लै से जो शेर बना था -राज बताऊँ

    क्यूँ न अंडे से बच्चा निकलने से पहले समूल नष्ट कर दें

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  4. १-पहले तो .....
    ---यह पा-लूं है= प्राप्त करलूं I should get..है या ..
    ----पालूँ = पालन पोषण करूँ...है
    २- जब अभी सोचा ही था..भविष्य की बात... तो ...एक दम वर्त्तमान में कहाँ से आगये जो इशारे मानने भी लगा....
    ३.शेर है तो बड़े जिगर वाला ही होगा...कहने की क्या आवश्यकता है...

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  5. तरुण जी धन्यवाद -सच कहा आप ने पंजे को ...., मदन भाई प्रोत्साहन के लिए आभार, आशुतोष जी लेकिन अंडे को कौन जान पाता है ख्वाब तो कुछ और ही होते हैं उस समय, शालिनी जी अभिवादन अपना सुझाव और प्रोत्साहन बनाये रखें, गंगाधर जी साधुवाद -कविता आप सब के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ

    हार्दिक आभार और धन्यवाद आप का आइये सब मिल हिंदी और साहित्य को अपने सीने से लगा इस समाज के लिए -जमीनी सच्चाई में उतर कुछ करें -शुभ कामनाएं
    शुक्ल भ्रमर ५

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  6. पहले तो .....
    ---यह पा-लूं है= प्राप्त करलूं I should get..है या .. आदरणीय डॉ श्याम सुप्त जी इसमें दोनों अर्थ है पा जाऊं या ले लूं जो आप की तरह से विद्वान हैं इसका कई अर्थ निकालें इस लिए पा- लूं है

    ----पालूँ = पालन पोषण करूँ...है - संतान का पोषण से भी अभिप्राय है

    २- जब अभी सोचा ही था..भविष्य की बात... तो ...एक दम वर्त्तमान में कहाँ से आगये जो इशारे मानने भी लगा....

    श्याम जी भूत काल से वर्तमान और भविष्य की ही तरफ ही आते हैं न-सो आ गए सब कुछ दिखाना है न जैसे- तीन घंटे कभी सिनेमा देखा है की नहीं ????


    ३.शेर है तो बड़े जिगर वाला ही होगा...कहने की क्या आवश्यकता है- यही तो आप की ग़लतफ़हमी है सभी बड़े जिगर वाले ही नहीं लीचड़ भी हैं - और अगर मै कुत्ता पाल लूं लिखता - तो आप का प्रश्न होता की कुत्ता का बड़ा जिगर होगा कैसे आप ने सोच लिया -

    पहले दुःख कहाँ से आया ...फिर उस दुःख का कारण क्या था वाली बात ...
    .
    धन्यवाद आप का

    शुक्ल भ्रमर ५

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  7. साहित्यु का गुण है कि एक एपिसोड की समाप्ति पर दूसरे का भाव दिया जाना चाहिए.....

    ---इसीलिये आज के सिनेमा को साहित्य की श्रेणी का नहीं माना जाता ...

    ---तो बीच में - लगाने की क्या आवश्यकता है...

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