नदिया की ओ चंचल धारा !
तू क्यों है इतनी आज विकल?
क्यों बिछुड़ गया मेरा साथी,
क्या यही सोचती तू चंचल |
नदिया की ओ चंचल धारा,
तू क्यों है इतनी आज विकल ||
तू क्यों है इतनी आज विकल?
क्या तूने भी है जान लिया ,
मुझसे है बिछुड़ा प्यार मेरा|
या देख मुझे एकाकी सा,
लहरें करतीं उपहास तेरा |
या याद तुझे वह दिन आया,
जब तेरी गोद में आये थे |
हम दोनों ने मिलकर जिस दिन,
वो गीत वफ़ा के गाये थे |
क्यों बिछुड़ गया मेरा साथी,
क्या यही सोचती तू चंचल |
नदिया की ओ चंचल धारा,
तू क्यों है इतनी आज विकल ||
sunder ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनाम जी...
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