रविवार, 30 जून 2013

तार, तार-तार हो गया

                       

“तार आया है “  सुन कर एक बारगी दिल की धड़कने थमने लगती थी । पता नहीं क्या है अच्छा या बुरा । ज़्यादातर बुरे की आशंका से मन बेचैन हो जाता था। क्योकि समान्यतया ये ऐसी खबरों के लिए स्तेमाल होता था जिनका जल्द से जल्द दिया जाना आवश्यक होता था और ऐसी खबरें अच्छी कम ही होती हैं ।  साधारणतया इसका उपयोग जन्म, म्रत्यु, शोक और बधाई संदेशो हेतु होता था।   व्यापारिक गतविधियों मे भी इनका उपयोग होता था । इनसे दी गई सूचना को कानूनी मान्यता थी ।  इनके रेकॉर्ड को इसलिए संभाल कर रखा जाता था । बैंकों मे मुद्रा प्रेषण हेतु तार भेजे जाते थे । इसमे कोई धांधली न कर सके इसके लिए बड़ी जटिल कोड प्रक्रिया (चेक सिग्नल) अपनाई जाती थी। तार का मतलब ही था कम शब्द, कम समय (तेज गति ) मे संदेश प्रेषण और डेलीवेरी सुनिश्चित संदेह से परे । इसलिए अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्यों के लिए ही इसका स्तेमाल होता था । कहा तो ये भी जाता है की बहुत से सरकारी कर्मचारी अपनी छुट्टी स्वीकृत कराने हेतु भी झूठे तार का सहारा लेते थे ।
 
 
आगामी 15 जुलाई 2013 से भारत संचार निगम तारों का प्रेषण बंद कर देगा और एक अत्यधिक महत्व पूर्ण और एतहासिक घटना का पटाक्षेप हो जाएगा । आइए एक निगाह डालते है टेलेग्राम के विकाश और विस्तार पर ।
 
  टेलिग्राफ युनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है दूर से लिखना। आजकल विद्युतद्वारा संदेश भेजने की इस पद्धति को तार प्रणाली तथा इस प्रकार समाचार भेजने को तार या टेलीग्राम  करना या भेजना कहते है। लगभग दो शताब्दी पूर्व वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में यह विचार आया कि विद्युत्‌ की शक्ति से भी समाचार भेजे जा सकते हैं। सर्वप्रथम प्रयोग स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक डा0 माडीसन से सन्‌ 1753 में इस दिशा मे किया। इसको मूर्त रूप देने में ब्रिटिश वैज्ञानिक रोनाल्ड का हाथ था, जिन्होने सन्‌ 1838 में तार द्वारा खबरें भेजने की व्यावहारिकता का प्रतिपादन सार्वजनिक रूप से किया। यद्यपि रोनाल्ड ने तार से खबरें भेजना संभव कर दिखाया, किंतु आजकल के तारयंत्र के आविष्कार का अधिकाश श्रेय अमरीकी वैज्ञानिक, सैमुएल  एफ बी मार्श को है, जिन्होने सन्‌ 1844 में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया। इसके ठीक 6 साल बाद ही भारत मे इसका प्रयोग  शुरू हो गया ।

 
                                                  (टेलीग्राम भेजने की पुरानी मशीन )
 
हिंदुस्तान मे ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहला टेलेग्राम कोलकाता से डाइमंड हार्बर भेज कर शुरू किया । इसके बाद तो कंपनी ने भारत के सभी प्रमुख शहरों को टेलेग्राम लाइनों से जोड़ दिया । आज़ाद हिंदुस्तान मे पहले प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 230 शब्दो का एक टेलेग्राम ब्रिटिश प्रधान मंत्री को भेजा जिसमे कश्मीर मे पाकिस्तान के आक्रमण पर सहायता की  अपील की गई थी । हर प्रमुख शहर मे टेलेग्राम ऑफिस खोले गए थे । इसका उपयोग बढ़ाने और कीमत कम कराने के लिए कई तरीके निकाले गए उनमे सबसे मुख्य है कोडेड टेलेग्राम्स । इसमे प्रत्येक संदेश के लिए एक कोड़ होता था । जैसे “दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें” के लिए कोड 4 । इतिहासकारों का मानना है की हिंदुस्तान मे 1857 मे अङ्ग्रेज़ी के दमनकारी शासन के खिलाफ जो सैनिक विद्रोह हुआ था उसे कुचलने मे तार की  बहुत बड़ी भूमिका थी ।  
शुरू मे तार (टेलीग्राम) पोस्ट ऑफिस के साथ जुड़ा था बाद मे इसे टेलीफोन को दे दिया गया जो स्वाभाविक रूप से भारत संचार निगम के उत्तराधिकार मे आ गया। इसके बंद करने का फैसला अचानक नहीं हुआ । तार की बढ़ती कीमत और मांग की कमी इसके बंद होने का एकमात्र कारण रहा होगा । तकनीक  के इस दौर मे जहां मोबाइल टेलीफोनी की क्रांति ने घर घर मे मोबाइल की पहुंच बना दी है वहीं सस्ते एसएमएस और कुछ हद तक मुफ्त एसएमएस ने रही सही कसर पूरी कर दी। व्यापारिक स्तर  पर भी देखे तो बैंको के कोर बैंकिंग मे आने के बाद थोक मे कोई ग्राहक नही बचे थे । पुलिस और वकील अभी इनका उपयोग कर रहे थे क्यो की न्यायालयों मे साक्ष्य के रूप मे इनकी मान्यता थी ।
 
जब भी कोई नई, सस्ती और सुगम  टेक्नालजी आती है तो ये सर्व स्वीकार्य होती है और इसलिए पुरानी टेक्नालजी का स्थान बड़े आसानी से ले लेती है। यही मोबाइल टेलेफोनी ने टेलीग्राम के साथ किया। जब  आर्थिक रूप टेलेग्राम को चलाते रहना घाटे का सौदा हो गया तो इसे आज नहीं तो कल बंद  होना ही था । किन्तु इतिहास मे तार हमेशा हमेशा के लिए अमर रहेगा और सदियों बाद आने वाली पीढ़ी के लिए किस्से कहानियों के कौतूहल से कम नही होगा । 
                      शिव प्रकाश मिश्रा

 

शनिवार, 22 जून 2013

संसार के सौ शीर्ष विश्वविद्यालयों में भारत का कोई भी नहीं .....

 
प्रतिष्ठित टाइम्स अखबार की  हायर एजुकेशन मैगज़ीन ने अभी हाल  ही में संसार के ऐसे सौ सर्वश्रेष्ठ  विश्वविद्यालयों की सूची बनाई जिनकी स्थापना ५० वर्ष के भीतर हुई है . दुर्भाग्य से भारत का कोई भी विश्वविद्यालय इस सूची में स्थान नहीं पा सका। ये बड़ी हैरानी की बात है परंतु इसका अर्थ ये नहीं है की सूची बनाने में  भारत के साथ कोई भेदभाव किया गया . इसमें २८ देशो के विश्वविद्यालय शामिल हैं किन्तु भारत के अलावा चीन और रूस का नाम भी गायब है .
 
 समूचे विश्व में हाल  के वर्षों में पढाई  के तौर तरीको और स्तर  में बहुत अंतर आया है  तुलनात्मक रूप से छोटे छोटे देशो ने अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की है हमारा देश  बी टी सी और बी ऐड जैसे कोर्सों के साथ संघर्ष रत है  और प्राइमरी शिक्षा सुधारने  हेतु फैक्ट्री मॉडल पर शिक्षक उत्पन्न कर रहा है . प्राइमरी शिक्षा की दशा सुधरने की बजाय दिन प्रति दिन बिगडती जा रही है . स्वयं शिक्षको की माने तो उन्हें मुफ्त के तनख्वाह मिल रही है और घर के पास पोस्टिंग  . उनके पास अगर जन गणना  , चुनाव , मतदाता सूची निर्माण जैसे कार्य यदि न हों तो  वे निश्कोच कह सकते है की उनके पास कोई भी काम नहीं है . इस स्थिति ने प्राइमरी अध्यापक की नौकरी के लिए इतना अधिक आकर्षण पैदा कर दिया है कि  बी टेक , एम् टेक , एम् बी ए  आदि  बड़ी संख्या में  युवक इस अध्यापन की भीड़ में शामिल हो रहे हैं .
 
कोई भी विश्वविद्यालय या इंजीनियरिंग कॉलेज भारत में ऐसा नहीं है जहाँ के डिग्री धारको को कोई कंपनी नियुक्त करके सीधे या सामान्य  ट्रेनिंग करवा कर  काम पर लगा सके . उन्हें लम्बी ट्रेनिंग देनी होती है . यह प्रदर्शित करता है की उद्योग और विश्वविद्यालयों में कोई समन्वय नहीं है  मैकाले की शिक्षा  पद्धति को हम चाहे कितना भी दोष क्यों न दें  किन्तु  नए ज़माने की प्रोफेशनल कोर्सेज भी मैकाले की रह पर चल निकले हैं . शिक्षा के निजीकरण से ज्यादातर देशों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार  हुआ है . शायद भारत इसका अपवाद है जहाँ  निजीकरण से इस क्षेत्र को सिर्फ उद्योग धंधे की तरह चलाया जा  रहा है  बिना किसी क्वालिटी कण्ट्रोल के  इसमें निरंतर गिरावट होती जा रही है .
 
कालेजो और विश्वविद्यालयों से डिग्री लेने के बाद शायद ही कोई अत्यंत मेधावी छात्र  हो जो बिना कोचिंग के कोई भी  प्रतियोगिता  पास कर सके . चाहे  ये  प्रतियोगिता किसी नैकरी के लिए हो या फिर किसी दूसरे कोर्स में प्रवेश के लिए हो . इसी कारण कोचिंग व्यवसाय ने समान्तर बड़े उद्योग का रूप धारण कर लिया है . इससे निजात पाने का कोई साधारण तरीका ढूदना बहुत मुश्किल है .
 
कुछ विश्वविद्यालयो ने बी ए , बी कॉम  जैसी साधारण डिग्रियों के लिए ४ साल का समय कर दिया है . इसके पक्ष विपक्ष में बहुत तर्क दिए जा रहे हैं  परन्तु ये समय की बर्बादी के अतरिक्त और कुछ नहीं है . अभी बहुत वर्ष नहीं हुए जब इसका समय २ से बढ़ा कर ३ वर्ष किया गया था। इस २ साल की डिग्री करके बहुत से लोग वैज्ञानिक , प्रशासन  और प्रबंधन के उच्च पदों पर उत्कृष्टता से काम  कर रहे हैं .
 
खैर , भारत का कोई भी विश्वविद्यालय  इन सौ शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में क्यों नहीं आ पाया ? ये विचारणीय विषय है . संभवता निम्न  मुख्य कारण  है .
 
- विश्वविद्यालयो की कमजोर आर्थिक स्थित 
- पाठ्यक्रम में कमी 
- शिक्षण की गुणवत्ता में कमी 
- अनुशासन का अभाव  
-शिक्षको की क्षमता  और संख्या में कमी 
-मूलभूत सुविधाओं का अभाव 
-व्योहारिकता का अभाव  
-समय के साथ बदलाव का अभाव 
-उपयोगिता  और रोजगार पूरकता का अभाव 
 
 
टाइम्स मागज़ीन द्वारा प्रकाशित सूची  निम्नवत है .

THE 100 Under 50 universities 2012
 
1
Republic of Korea
71.8
2
Switzerland
66.2
3
Hong Kong
63.0
4
United States
60.0
5
Republic of Korea
58.6
6
France
56.3
7
United States
56.0
8
United Kingdom
55.7
9
United Kingdom
53.6
10
United Kingdom
51.0
11
United States
48.7
12
Hong Kong
48.5
13
United Kingdom
48.1
14
Germany
47.7
15
France
46.8
16
Singapore
46.0
17
Spain
45.7
18
Hong Kong
45.5
19
Netherlands
44.9
20
United Kingdom
44.7
21
United States
44.6
22
Germany
43.3
23
Sweden
42.1
24
Spain
41.7
25
Italy
41.1
26
Germany
40.7
27
Sweden
40.6
28
Canada
40.4
29
United States
40.3
30
Canada
40.0
30
Taiwan
40.0
32
Turkey
38.9
33
Australia
38.5
33
Australia
38.5
35
United Kingdom
38.4
36
Denmark
37.8
37
Italy
37.5
37
United Kingdom
37.5
39
Japan
37.1
40
Australia
37.0
41
Austria
36.8
42
Germany
36.5
43
Norway
36.2
44
Brazil
35.9
45
Australia
35.8
46
France
35.4
46
Hong Kong
35.4
48
Australia
35.3
49
Spain
34.9
50
Greece
34.5
50
United Kingdom
34.5
50
Canada
34.5
53
United States
34.4
54
Finland
34.3
55
Taiwan
33.5
56
United Kingdom
33.4
57
United States
33.0
58
New Zealand
32.4
59
Sweden
32.3
60
United Kingdom
32.2
61
United Kingdom
31.9
62
United Kingdom
31.1
63
United States
30.8
64
Republic of Ireland
30.1
65
Australia
29.9
66
Portugal
29.8
67
Denmark
29.7
68
Iran
29.2
69
United Kingdom
27.9
70
Taiwan
27.8
71
United Kingdom
27.7
72
United Kingdom
27.6
72
United Kingdom
27.6
74
Spain
27.1
75
France
26.6
75
Australia
26.6
77
New Zealand
26.4
78
Australia
26.1
78
Australia
26.1
80
United Kingdom
25.9
81
Australia
25.1
81
Australia
25.1
83
United Kingdom
24.9
84
United States
24.7
85
Portugal
24.6
86
Ireland
23.9
86
Spain
23.9
88
Australia
23.4
89
Taiwan
23.3
90
United Kingdom
22.9
91
Canada
22.6
92
United Kingdom
22.4
93
Australia
22.1
94
Saudi Arabia
21.8
95
Taiwan
21.7
96
Egypt
21.0
97
Ireland
20.3
98
Malaysia
20.0
99
Brazil
19.9
100
Australia
19.8
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                                                                                           - शिव प्रकाश मिश्रा 
                                                                                          http://shivemishra.blogspot.com