पहुंचा एक दिन मैं ,
एक कवि सम्मलेन में ;
घोषणा हुई कि, कुछ ही मिनिट्स हैं-
महाकवि के आगमन में |
गरीब जी थे वे, और--
कहाते थे इस युग के निराला ,
बगल में लटका-झोला खाली,
गले में अटकी हाला |
बात बात में वे,
कह लेते थे उक्तियाँ ,
भारी भरकम स्वयं की काया,
कहने लगे ये पंक्तियाँ --
"हाय कैसी करुणता यह,
बाल गिट्टी छांटते ;
और अबलाएँ बिचारी,
कूटती हैं गिट्टियां |
भूख से बेहाल ज़र्ज़र-
युवक मिट्टी ढोरहे,
वृद्ध शिशु उनके घरों में ,
भूख से हैं रो रहे |"
दी गयीं नेताओं को,
शासन को भी कुछ गालियाँ ;
झूम उठे लोग सब-
सुनकर बजाईं तालियाँ ||
एक श्रोता ने जो उठ कर ,
पूछा कि -यह तो बताइये ;
कौन क्या कारण है इसका,
कृपा कर समझाइये |
और सब निष्कर्ष में -
समाधान तो कह दीजिए ,
कविता सुनने का हमें-
कुछ लाभ तो दिलवाइए ||
वे वोले-
हम तो कवि हैं,
यथार्थवादी हैं,
दर्पण दिखाते हैं,
भोगा यथार्थ बताते हैं,
समाज में क्या होरहा है -
यह समझाते हैं |
समाधान तो शासन व जनता खोजेगी,
हम तो कवि हैं-
लिखते हैं, गाते हैं , सुनाते हैं|
श्रोता बोला-- फिर,
कवि, कविता व साहित्य की-
कहाँ आवश्यकता है ?
समाचार जानने के लिए तो-
अखवार सबसे सस्ता है |
एक कवि सम्मलेन में ;
घोषणा हुई कि, कुछ ही मिनिट्स हैं-
महाकवि के आगमन में |
गरीब जी थे वे, और--
कहाते थे इस युग के निराला ,
बगल में लटका-झोला खाली,
गले में अटकी हाला |
बात बात में वे,
कह लेते थे उक्तियाँ ,
भारी भरकम स्वयं की काया,
कहने लगे ये पंक्तियाँ --
"हाय कैसी करुणता यह,
बाल गिट्टी छांटते ;
और अबलाएँ बिचारी,
कूटती हैं गिट्टियां |
भूख से बेहाल ज़र्ज़र-
युवक मिट्टी ढोरहे,
वृद्ध शिशु उनके घरों में ,
भूख से हैं रो रहे |"
दी गयीं नेताओं को,
शासन को भी कुछ गालियाँ ;
झूम उठे लोग सब-
सुनकर बजाईं तालियाँ ||
एक श्रोता ने जो उठ कर ,
पूछा कि -यह तो बताइये ;
कौन क्या कारण है इसका,
कृपा कर समझाइये |
और सब निष्कर्ष में -
समाधान तो कह दीजिए ,
कविता सुनने का हमें-
कुछ लाभ तो दिलवाइए ||
वे वोले-
हम तो कवि हैं,
यथार्थवादी हैं,
दर्पण दिखाते हैं,
भोगा यथार्थ बताते हैं,
समाज में क्या होरहा है -
यह समझाते हैं |
समाधान तो शासन व जनता खोजेगी,
हम तो कवि हैं-
लिखते हैं, गाते हैं , सुनाते हैं|
श्रोता बोला-- फिर,
कवि, कविता व साहित्य की-
कहाँ आवश्यकता है ?
समाचार जानने के लिए तो-
अखवार सबसे सस्ता है |
कवि, कविता व साहित्य की-
जवाब देंहटाएंकहाँ आवश्यकता है ?
समाचार जानने के लिए तो-
अखवार सबसे सस्ता है |
बहुत सत्य बात कही आप ने...समाचार जानने के लिए अख़बार ही काफी है..समाचार .. को छंदों में ढालने का क्या फायदा??
वैसे भी अब कवी भी ख़तम होते शेरों की तरह बिरले ही मिलते हैं