रविवार, 27 जनवरी 2013

क्या है FDI ?

FDI जिसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी कहते है से तात्पर्य है की एक सीमा के पार दूसरे सीमा में निवेश .अर्थात जब किसी देश की अर्थव्यवस्था द्वारा दूसरे देश की अर्थव्यवस्था में पूंजी लगाई जाती है ,बिना किसी अवरोध के तो इसे ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते हैं .इसके द्वारा एक देश की कम्पनी दुसरे देश की कम्पनी का शेयर खरीद के या अपनी कम्पनी को स्थापित करके व्यवसाय करती है .FDI के दो रूप हो सकते हैं .पहला इनवार्ड FDI दूसरा आउटवार्ड FDI .पहले के अनुसार देश में विदेशी निवेश आता है और दूसरे के अनुसार निवेश विदेशों में किया जाता है !
FDI में आकर्षण का कारण -
FDI में आकर्षण का प्रमुख कारण कम्पनी द्वारा अपने लाभ को अधिकतम करना होता है .इसके द्वारा कम्पनी को नए बाजार उपलब्ध होते हैं ,सस्ती मजदूरी पे मजदूर मिलते हैं ,विशेष निवेश विशेषाधिकार (उदाहरण के लिए कर में छूट ),सरकार द्वारा पेशकश इत्यादि का लाभ कम्पनी को मिलता है !
भारत में FDI की स्थिति -
पक्ष एवं विपक्ष में तमाम टकराव के बावजूद भी विगत वर्ष के नवम्बर माह में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ रिटेल सेक्टर में 100% तथा मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में 51% निवेश को लागू कर दिया .इससे रिटेल सेक्टर में कंपनियों को कमसे -कम 10 करोर डालर का निवेश करना होगा .कुल निवेश का आधा हिस्सा कोल्ड स्टोरेज ,वेयरहाउसिंग ,सप्लाई चैन बनाने पे खर्च करना होगा ,ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर को लाभ हो सके .साथ ही इन कंपनियों को 30% उत्पाद भारत की छोटी व बेहद छोटी कंपनियों से खरीदने होंगे .विदेशी रिटेल कम्पनियाँ सिर्फ दस लाख से ज्यादा जनसँख्या वाले 53 शहरों में ही स्टोर खोल सकेंगी .इस समय देश में 8000 शहर है !
जहाँ विपक्ष FDI को किसान विरोधी बता रहा है वहीँ सत्ता पक्ष का तर्क है की इससे रोजगार बढ़ेंगे ,मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा !
FDI के लाभ -
सरकार द्वारा FDI से लाभ के निम्न तर्क दिए जा रहे हैं ...
इसके द्वारा देश में पूंजी का प्रवेश होगा जिससे पूंजी निर्माण को बल मिलेगा .
अर्थव्यवस्था में नई तकनीकी आयेगी जिससे उत्पादन बढेगा .
रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे .
बर्तमान में भारत में जितने कोल्ड स्टोरेज हैं उनमें से 80% में केवल आलू रखी जाती हैं जिसकी वजह से 40% सब्जियां कुल उत्पादन का बेकार हो जाती है .सरकार का तर्क है की विदेशी निवेश से इन्हें संरक्षित किया जा सकता है जिससे घरेलू बाजार में खाने -पीने की चीजें बढेंगी परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को सस्तीदर पे वस्तुएं उपलब्ध होंगी .
सरकर का है की कृषि क्षेत्र के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं हैं इनके आने से कृषि बाजार व कृषि में भी सुधार होगा .क्रेडिट मार्केट के साथ अनुबंधित खेती को भी बढ़ावा मिलेगा .अनुबंध के आधार पर किराये की खेती करने वालों को भी औपचारिक स्रोतों से क़र्ज़ मिल सकेगा .
बिचौलियों की वजह से किसानो को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलता .ये कम्पनियाँ सीधे तौर पे किसानों से खरीद -फरोख्त करेंगी जिससे उनकी उपज का उन्हें सही दाम मिलेगा फलस्वरूप उनकी स्थिति में भी सुधार होगा .
- GDP में वृद्धि ,मुद्रास्फीति कम होगी .
घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा का वातावरण स्थापित होगा जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती एवं अच्छी वस्तुएं उपलब्ध होंगी.
FDI के हानि -
एक आंकडे के अनुसार भारत में वर्तमान में खुदरा व्यवसाय 29.50 लाख रुपये का है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 33% है !इस समय भारत में छोटे और मझोले दुकानदारों की संख्या 1 करोर 20 लाख के आस-पास है .इन दुकानों में लगभग 4 करोर लोगों को रोजगार मिलता है .FDI के आने से इनके रोजगार छिनने के आसार हैं .
प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारन हमारे देश की छोटी कम्पनियाँ उन बड़ी कंपनियों के सामने नहीं टिक पाएंगी जिससे उनकी ओनरशिप को खतरा हो सकता है .
पूंजी का वहिर्गमन तीव्र गति से होगा .दादा भाई नौरोजी ने जो चिंता ड्रेन थ्योरी देकर व्यक्त की थी उसी के आधार की शुरुआत फिर हो जाएगी .
किसी देश का बाजार ही उसकी संपत्ति होती है .FDI का विरोध करने वालों का कहना है की आज अमेरिका में 90% तथा यूरोप में 80%खुदरा व्यापार इन बड़ी कंपनियों के हाथ में है .भारत में भी FDI के कारण हर छोटी-बड़ी चीजों पर उनका अधिकार हो जायेगा जो देशहित में नहीं है .
सरकार के सामने चुनौतियाँ -
आज देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है,हर वर्ग के लोग इस समस्या से पीड़ित हैं .कोई भी सत्तारूढ़ सरकार पे विश्वास करने स्थति में नहीं है हर तरफ भ्रष्टाचार की दुर्गन्ध फैली है .ऐसे में वालमार्ट का देश में प्रवेश करना एक बड़ी चुनौती है ,जिस पर की 125 करोर लॉबिंग का आरोप लगा है सरकार को मनाने के लिए. हालाँकि उद्योगपतियों का मानना है लॉबिंग कोई समस्या नहीं ,बस ये सरकार से संपर्क करने का एक जरिया होता है .अमेरिका जैसे दशों में लॉबिंग को क़ानूनी मान्यता मिली है .लेकिन भारत में ये गैरकानूनी है .FDI को राज्यों में लागू करना भी सरकार के सामने चुनौती है क्योंकि इसको राज्यों में लागू करना राज्य सरकार की इच्छा पर है तो वही राज्य इसके पक्ष में जहाँ कांग्रेस की सरकार हैं बाकी विपक्षी राज्य इसके विरोधी बने हैं .

लेखिका:वंदना सिंह 



गण तंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

 
 
 
 
- शिव प्रकाश मिश्रा 

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

ये एक पुरानी कविता है , लेकिन इस अस्सोकिअतिओन के लिए सामयिक लगती है . अत
:अस्सोकिअतिओन के लिए कोई साथ नही देता
बनता न कोई हमसफ़र
गर हो ऐसी बात तो,
तू चला चल अपनी डगर ।


रोडो ने तो हमेशा ही
राह रोका किया है
तू न आस छोड़ दे ,
मार कर उन्हें ठोकर
चला चल अपनी डगर ।


ठेस भी गर लग गयी
भूल जा तू ठेस को
सुख जाएगा लहू
घाव का तू गम न कर
चला चल अपनी डगर ।


मंजिलों का भी अगर
कोई आसरा न हो
राह चल
अपनी तरह
मंजिलों की न फिक्र कर
चला चल अपनी डगर ।


कर्मवीरों के लिए
झुकता रहा है आसमा
फल की चिंता क्यों हो तुझे
तू तो अपना कर्म कर
चला चल अपनी डगर .


रूप

बेनीपुरी साहित्य का आलोचनात्मक अध्ययन


पुस्तक- बेनीपुरी की साहित्य-साधना, लेखक- डा0 कमलाकांत त्रिपठी
प्रकाशक- पुस्तक पथ, वाराणसी, वितरक- शारदा संस्कृत संस्थान, सी. 27/59, जगतगंज, वाराणसी-221002, मूल्य- 350 रूपये (पेपर बैक)।


डा0 कमलाकांत त्रिपठी द्वारा लिखित पुस्तक ‘बेनीपुरी की साहित्य साधना’ भारतीय ग्राम्य जीवन और आदर्शोन्मुक्त यथार्थवाद के प्रतिनिधि कथाकार रामवृक्ष बेनीपुरी के साहित्य को समग्रता में व्यक्त करते हुए उसे वर्तमान जीवन के विविध आयामों में व्याख्यायित करती है। यह पुस्तक बेनीपुरी के जीवन-कार्य तथा साहित्य साधना का सर्वांगीण परिचय ही नहीं प्रस्तुत करता बल्कि उनके कार्य तथा साधना का सूक्ष्म विशलेषण कर उन समस्त विशेषताओं को अधोरेखित भी करता है जो व्यक्ति बेनीपुरी तथा लेखक बेनीपुरी को अलग कर देता है।
पुस्तक के प्रथम दो अध्यायों में लेखक ने बेनीपुरी के साहित्य साधना के लगभग सभी पक्षों पर दृष्टिपात किया है। कथामकता को आधार बनाते हुए उन्होने बेनीपुरी साहित्य को दो प्रधान वर्गों में विभाजित किया है- कथा-साहित्य और कथेतर-साहित्य। तृतीय अध्याय में डा0 त्रिपाठी ने प्रेरण स्रोत, विषयोपन्यास, सैद्धांतिक मान्यताएं तथा कथ्य उपशीर्षकों के अन्तर्गत बेनीपुरी के साहित्य की विशेषताओं को अंकित किया है। अन्य कतिपय विशिष्टताओं के साथ-साथ बेनीपुरी साहित्य का जनवादी पक्ष लेखक को सर्वोपरी लगता है। उन्होने लिखा है- ‘‘जनता के साहित्यकार बेनीपुरी ने जनता के पक्ष को जनता की भाषा दी। उनका यह जनवादी पक्ष उनके साहित्य में सर्वत्र मुख्य है।’’ बेनीपुरी की कथ्यगत विशिष्टताओं की चर्चा में लेखक लिखता है- ‘‘उनका भाव लोकसंघर्ष के साथ आनन्द का भी है। परिस्थितयों के संघर्ष में क्रांतिकारी और संघर्ष की समाप्ति के बाद उल्लास के गायक का रूप-दर्शन बेनीपुरी में होगा।
शैलीकार की भाषा का पूरा विश्लेषण तब तक अधुरा माना जाता है जब तक साहित्यिक भाषा की समग्र प्रक्रिया उसके विविध स्तरों की संरचना के आधार पर सोदाहरण स्पष्ट नहीं की जाती। डाॅ0 त्रिपाठी ने पुस्तक के चतृर्थ अध्याय ‘बेनीपुरी की भाषा शैली’ में यह कार्य बड़ी सुक्ष्मता, गहन विश्लेषण क्षमता के साथ किया है। तुलनात्मक विवेचना का आधार ग्रहण करते हुए लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि भाषा के प्रत्येक स्तर के इकाई का चयन करते हुए बेनीपुरी ने किस प्रकार प्रभाव विस्तार का ध्यान रखा है। बेनीपुरी के गद्य के शब्द-वर्ग, वाक्य-विन्यास, परिच्छेद, विराम-चिन्ह, मुहावरें-कहावतें आदि सभी इकाईयों की उपयोगिता तथा अनुकूलता की चर्चा सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभाव विस्तार के आधार पर साहित्य भाषा का सही आकलन प्रस्तुत किया है।
डा0 कमलाकांत त्रिपाठी का ग्रन्थ बेनीपुरी की साहित्य साधना बेनीपुरी की विशिष्टता के आकलन का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। बेनीपुरी साहित्य पर अधावधि प्रकाशित प्रबन्धों में यह प्रबंध अपना अलग स्थान रखता है। साहित्य के अध्येताओं की आकलन परिधि के विस्तार की दृष्टि से यह निश्चय ही उपयोगी रचना है।


एम अफसर खां सागर

मै हिंदुस्थान का हिन्दू हूँ मै आतंकी हूँ

RSS HELPING MUSLIM PEOPLES

युवराज राहुल गांधी(रौल विंची) की ताजपोशी होते ही कांग्रेस ने हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया इसी कड़ी मे माननीय गृहमंत्री ने पाकिस्तान का आतंकवाद भूल कर हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने का एक अभियान शुरू कर दिया है॥ स्पष्ट है चुनाव का बिगुल बज चुका है और कांग्रेस ने हिंदुओं को आतंकवादी बता कर अपना मुसलमान वोट बैंक सुदृढ़ करने की शुरुवात कर दी है ॥ कांग्रेस की परिभाषा से मैन एक  घोषित एक हिन्दू आतंकवादी हूँ और ये है मेरी आतंक की इबारत और आवाज..."जय श्री राम"



मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ ,मैं सर्व धर्म समभाव सिखाता ,
मानवता की बात बताता,हर धर्मस्थल पर शीश नवाता,आतंकी हूँ। 
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँमैं आतंकी हूँ॥ 

वो धरा गोधरा की हो या,वो जनमभूमि हो राम की,
हो मथुरा काशी की धरती,या सोमनाथ के धाम की॥ 
हर बार में अपनी बलि चढ़ाता आतंकी हूँ,
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ।।

मैं सत्य अहिंसा के दर्शन को ,जीने का आधार बनाता,
बाबर अब्दाली के वंशज को भी,मैं अपने गले लगाता।
नित नए नए अत्याचारों पर,धैर्य दिखता,सहता जाता आतंकी हूँ॥
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ ।

पर बहुत हो चुकी धैर्य परीक्षाअब चन्दन अनल दिखायेगा,
भाई भाई के नारे को,अब फिर से परखा जायेगा.,
गर भाई हो कौरव जैसा,तो अर्जुन शस्त्र उठाएगा।
गाँधी का ये गाँधी दर्शन,अब चक्र सुदर्शन लाये,
डंडे वाला बूढ़ा गाँधी ,अब सावरकर बन जायेगा।
शत वर्षों से सहते आये,अब और नहीं सहा जायेगा.
अब हिन्दुस्थान का हर हिन्दू,राणा प्रताप बन जायेगा।
तब बाबर की जेहादी सेना मेंउथल पुथल हो जाएगी,
गुजरात की कुछ बीती यादेंफिर से दोहराई जाएँगी।
जौहर की बाते बीत गयी,अब चंडी शस्त्र उठाएगी,
गर हुआ जरुरी तो बहने,प्रज्ञा ठाकुर बन जाएँगी॥
पर पांडव ने भी कौरव को,अंतिम सन्देश सुनाया था,
खुद योगेश्वर ने जाकर भी,दुर्योधन को समझाया था।
तुम हिंसक आतातायी हो,तुम कौरव हो पर भाई हो,
यदि जीना है तो जीने दो,या मरने को तैयार रहो,
ये बात सभी को समझाता मैं आतंकी हूँ॥
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ॥





लेखक "
आशुतोष नाथ तिवारी"