सोमवार, 12 मार्च 2012

आल्हा के दीवानगी

                एक गो छोट सस्मरण  अपने बचपन कै शेयर कईल चाहत बानीं यहवां बचपन के दिन आजमगढ़  के सगड़ी तहसील के एक छोट से गाँव में बीतलउ बेला में कौनो शादी - बियाहे  और कर- परजा में नौटंकी, बिरहा और आल्हा का बड़ा चलन रहे खाली पता चली जाये  की कौने गांवें में आल्हा - बिरहा के प्रोग्राम बटे , बस जईले के जुगत भिंडावल जाईल जात रहे
              उ समय में गुल मुहम्मद " बीपत " के आल्हा बड़ा जोर मचवले   रहल बगल के एक गांवें  मंझारियां में उनकर आल्हा आईल रहल हमार मन ना करत रहल मगर कुछ दोस्त लोग हमके चढ़ा देहने और  उ रात चुपके  से हमहू निकल पड़नी दोस्त लोगन के चढवले में आईके आल्हा सुने खातिन हम बिना केहू से घरमे में बतवले गईल रहनी जब भिन्सहरा के हम हम घरे पहुचनी तै पता चलल की भर राते हमार खोजहरिया भईल हवे  कि कहवां गईनेउलटे दोस्त लोग मजा लेके डरावे लगने की अब बाप के हाथे चमड़ा आज लाल जरुर होई जाई
                            खट - खट तेगा बोले सन- सन बाजे तलवार
                             सब भागे  इधर उधर किसी से सही न जाये ई मार
लगत रात भर जवन आल्हा चलल वोकर ई शब्द अब  हमरे कपारे में भी बाजे लागल बहुत देर तक हम अपने बाप से छिपल रहनी सामना कईले  के हिम्मत न रहल   शायद अम्मा के समझौले कै परिणाम रहल होई  या बाप कै गुस्सा कुछ देर बाद शांत हो गईल रहल होई जब सामना भईल तै पिटाई तै  ना भईल पिताजी अपने समने  बैठा के समझौने   कि अगर गईला तै बता के जाये के चाहत रहल रात भर सब परशान रहल तुहरे खातिन   अउर जेकरे संघे गईल रहला ऊ कुल अच्छा लईका ना हवे इ बात एकदम से हमरे मन में  बैठ गईल ऊ दिन से हम जहाँ भी जाई , घरे जरुर बता के जाईं  शायद उनकर ई प्यार से समझवाल ही रहल  कि जवन हमार कदम उनके नज़र में गाँवे के कुछ  बदमाश लईकन के संघे बिगड़त  लगत रहल ऊ वो  लईकन से दुरी बना के चले लागल . ई सीख बादे  में बहुत कामे आईल

              आल्हा-बिरहा , रामलीला अउर नौटंकी के प्रति दीवानगी बादे में भी बनल रहे अगर आप लोग भी ई दीवानगी कै सुनल चाहत होई तै निचे लिंक पे क्लिक कईके डाऊनलोड  कै सकिला    

माड़ोगढ़ की लड़ाई  - भाग-१
माड़ोगढ़ की लड़ाई - भाग-२  

आल्हा बिवाह- भाग -१ 
आल्हा बिवाह- भाग -२  

उपेन्द्र नाथ 

गुरुवार, 8 मार्च 2012

भंग की तरंग...

भंग की तरंग मैं आप सभी को सपरिवार मित्रो सहित होली की बहुत बहुत शुभ हो....बम भोले की ...
भंग की तरंग मैं अपना कुछ अलग ही आनंद होता है और तरंग तो किसी  की हो ......


जय बाबा बनारस...
होली की हार्दिक शुभ कामनाएं . भगवान् से प्रार्थना  है कि रंगों का ये त्यौहार आप सभी के जीवन में प्रेम, सदभावना, शांति और समृद्धि की भरपूर वर्षा करे .
शिव प्रकाश मिश्रा

शनिवार, 3 मार्च 2012

कृष्ण कुमार यादव ने संभाला इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ का पद

भारतीय डाक सेवा के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव ने इलाहाबाद रीजन के नए निदेशक डाक सेवाएँ के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया है. साहित्य, लेखन और ब्लागिंग में अभिरुचि रखने वाले श्री यादव इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक हैं. मूलत: तहबरपुर, आजमगढ़ के निवासी श्री यादव वर्ष 2001 बैच के अधिकारी हैं. इससे पूर्व आप सूरत, लखनऊ, कानपुर और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं. इलाहाबाद में नियुक्ति से पूर्व कृष्ण कुमार यादव अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएँ पद पर पदस्थ थे. गौरतलब है कि इलाहाबाद रीजन, उत्तर प्रदेश परिमंडल का सबसे बड़ा डाक-रीजन है, जिसके अंतर्गत इलाहाबाद, कौशाम्बी, जौनपुर, प्रतापगढ़, वाराणसी, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र जनपद आते हैं. इलाहाबाद में निदेशक डाक सेवाएँ का पद कई महीनों से खाली चलने के चलते आम जनता के साथ विभागीय गतिविधियाँ भी काफी प्रभावित हो रही थीं. यही नहीं पिछले माह यहाँ के पोस्टमास्टर जनरल की पदोन्नति पश्चात् इलाहाबाद रीजन मुख्यालय में शून्य की स्थिति पैदा हो गई थी. ऐसे में तेज-तर्रार और ईमानदार छवि के लिए मशहूर कृष्ण कुमार यादव की नियुक्ति इलाहाबाद रीजन में डाक सम्बंधित गतिविधियों को नए आयाम देगी. श्री यादव के पास गोरखपुर रीजन के निदेशक का भी अतिरिक्त प्रभार है, ऐसे में उनसे लोगों की आशाएं भी काफी बढ़ गई हैं.


सरकारी सेवा में उच्च पदस्थ अधिकारी होने के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लागिंग के क्षेत्र में भी चर्चित नाम श्री कृष्ण कुमार यादव की रचनाधर्मिता को देश की प्रायः अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में देखा-पढ़ा जा सकता हैं। विभिन्न विधाओं में अनवरत प्रकाशित होने वाले श्री यादव की अब तक कुल 5 पुस्तकें- अभिलाषा (काव्य-संग्रह-2005), 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह-2006 व 2007), India Post : 150 Glorious Years (2006) एवं 'क्रांति -यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' (2007) प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डा. राष्ट्रबन्धु द्वारा श्री यादव के व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘‘बाल साहित्य समीक्षा‘‘ पत्रिका का विशेषांक जारी किया गया है तो इलाहाबाद से प्रकाशित ‘‘गुफ्तगू‘‘ पत्रिका ने भी श्री यादव के ऊपर परिशिष्ट अंक जारी किया है। आपके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक ‘‘बढ़ते चरण शिखर की ओर: कृष्ण कुमार यादव‘‘ (सं. डा. दुर्गाचरण मिश्र, 2009) भी प्रकाशित हो चुकी है। पचास से अधिक प्रतिष्ठित पुस्तकों/संकलनों में विभिन्न विधाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं व ‘सरस्वती सुमन‘ (देहरादून) पत्रिका के लघु-कथा विशेषांक (जुलाई-सितम्बर, 2011) का संपादन भी आपने किया है। आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर व पोर्टब्लेयर और दूरदर्शन से आपकी कविताएँ, वार्ता, साक्षात्कार इत्यादि का प्रसारण हो चुका हैं।

श्री कृष्ण कुमार यादव ब्लागिंग में भी सक्रिय हैं और व्यक्तिगत रूप से शब्द सृजन की ओर (www.kkyadav.blogspot.com) व डाकिया डाक लाया (www.dakbabu.blogspot.com) और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’ ,‘सप्तरंगी प्रेम’ ‘उत्सव के रंग’ ब्लॉगों के माध्यम से सक्रिय हैं। विभिन्न वेब पत्रिकाओं, ई पत्रिकाओं, और ब्लॉग पर प्रकाशित होने वाले श्री यादव की इंटरनेट पर ’कविता कोश’ में भी काव्य-रचनाएँ संकलित हैं।

विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त श्री यादव की इलाहाबाद में नियुक्ति से इलाहाबाद से जुड़े साहित्यकारों और ब्लागरों में भी काफी हर्ष है !!