रविवार, 27 नवंबर 2016

नहीं रहे क्यूबा की क्रांति के जनक और वामपंथ के स्तम्भ फिडेल कास्त्रो



फिडेल कास्त्रो एक घोर अमरीका विरोधी वामपंथी थे। क्यूबा की क्रांति के इस जनक को 1952 में 18 साल की जेल हुई मगर 1955 में माफ़ी दे दी गयी और ये मैक्सिको चले गए वहां इनकी मुलाकात चे घिवेरा से हुई ..वहां से सन 1956 में वामपंथी आतंकी चे घिवेरा के साथ 81 लोग वापस क्यूबा आये और क्यूबा में घुसते ही इनसे क्यूबा की पुलिस से मुठभेड़ हुई और 18 जिन्दा बचे जिसमे फिडेल और घिवेरा भी शामिल थे..2 राइफल और 18 लोगो के साथ शुरू हुआ सत्ता से संघर्ष ,1959 में क्यूबन तानाशाह फुलखेंशियो बतिस्ता को गद्दी से हटाकर फिडेल के सत्ता प्राप्त करने पर खत्म हुआ..कास्त्रो 47 साल तक क्यूबा के प्रधानमंत्री रहे..सिगार तथा बेसबॉल के शौक़ीन और यूएन में सबसे लंबा भाषण (लगभग साढ़े चार घंटे लगातार) देने वाले फिडेल कास्त्रो को सेक्स के लिए दिन में 2 से 3 अलग अलग लड़किया अपने बिस्तर पर चाहिए थी। क्यूबा के इस वामपंथी तानाशाह नेता के नाम कई जनसंहार और बिस्थापन दर्ज है मगर फिडेल के खाते में एक ऐसे क्रन्तिकारी तानाशाह(एकदलीय प्रणाली की छाया में बैठा हुआ तानाशाह) की छवि भी है जो अमरीका को आजीवन नाको चने चबवाता रहा.मगर इसी कारण क्यूबा पूरे विश्व से अलग थलग हो गया और वहां की अर्थव्यस्था तबाह हो गयी..फिडेल कास्त्रो एक ऐसा कम्युनिष्ट तानाशाह जिसके विरोधियों के पास दो ही रास्ते होते थे या तो वो मारे जायेंगे या क्यूबा छोड़ देंगे...फिडेल कास्त्रो एक ऐसा कम्युनिष्ट तानाशाह जिसे अमरीका समेत कई ख़ुफ़िया एजेंसिया मिल कर भी नहीं मार पाई..CIA ने फिडेल कास्त्रो को मारने के लिए 650 से ज्यादा बार प्रयास किये मगर अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी हर बार विफल रही..
एक बार नास्तिक वामपंथी फिडेल कास्त्रो ने कहा था की मैं भगवान को नहीं मानता था मगर CIA और अमरीका द्वारा कई दशको तक मुझे मारने के सैकड़ो प्रयास के बाद भी मैं जीवित बचा हूँ,इससे मुझे लगने लगा है की भगवान होता है...
खैर आज फिडेल कास्त्रो इस दुनिया में नहीं है और शोक के साथ साथ एक बड़ा हिस्सा हवाना में जश्न भी मना रहा है..आने वाला समय और क्यूबा की अगली पीढी इस वामपंथी कम्युनिष्ट तानाशाह का क्यूबा के निर्माण (या विध्वंस)में योगदान को तय करेगी..
आशुतोष की कलम से

पीओके किसके बाप का ?


फारुख अब्दुल्ला ने कल एक जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के 125 करोड  लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात किया और  कहा कि क्या पीओके क्या आपकी (हिन्दुस्तान) बपौती है ? क्या पीओके उनके (हिन्दुस्तानियों) बाप का है ? जी हाँ हमारे....हम सबके बाप का है और रहेगा. असली मुद्दा है कि जो कश्मीर  पाकिस्तान के कब्जे में है वह कब वापस आएगा ? फारूक का ये बयान पूरे हिन्दुस्तान के लिए एक गाली है इसलिए बिना राजनीति किये सारे दलों को चाहिए कि न केवेल इसकी निंदा करें बल्कि उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जाय उस पर भी एकमत होना चाहिए.

कुछ लोग बहुत भ्रम में जीते है उन्हें संदेह रहता है कि वे खुद  किसकी बपौती है ? हिन्दुस्तान की या पकिस्तान की ? क्या पीओके  उनकी बपौती है ? या पाकिस्तान उनका बाप है ? इतिहास गवाह है फारूक के बाप के नेहरू से बड़े अच्छे सम्बब्ध थे (कारण कुछ भी हो). उनके बाप शेख अब्दुल्ला ने भारत के साथ विश्वाश घात किया और  देशद्रोह किया. मजबूरी में नेहरू को उन्हें देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डालना पड़ा. कम से कम हम हिन्दुस्तानियों के बाप देशद्रोही तो नहीं थे. आपके बाप की तुलना हमारे बाप से नहीं हो सकती. एक देश द्रोही का बेटा भी देश द्रोही  ही निकला .

कश्मीर को शुरू से ही केंद्र से इतनी वित्तीय सहायता मिलती रही है जितनी उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी नहीं मिली और  जिसका वहा के नेताओं ने सिर्फ अपने हितों में स्तेमाल किया. क्या फारूक बता सकते है कि लन्दन में उनके पास अकूत संम्पति कहाँ से आई ? ये हम हिन्दुस्तानियों के बाप का पैसा है. आज नोट बंदी की वजह से फारूक के सिर्फ कुछ सौ करोड़ रुपये बेकार हुए हैं और इतनी बौखलाहट ? उन्हें चिंता है कि अब पत्त्थर कैसे फेंके जायेंगे ? आतंकबादी कैसे पाले जायेंगे और जब ये सब नहीं हो पायेगा तो भारत सरकार को ब्लैक मेल कैसे कर पाएंगे ? हिन्दुस्तान के पैसे से बाप बेटे दोनों ऐश कर रहे है. कश्मीर की समस्या सुलझ जायेगी तो इनका धंधा चौपट हो जायेगा. पुश्तैनी धंधा है भाई, भला कोइ इतनी आसानी से बंद करना चाहेगा?
इस तरह के देशद्रोहियों और पकिस्तान के समर्थन में खड़े होने वाले हर व्यक्ति का का हर स्तर पर विरोध होना चाहिए और इन्हें इनकी औकात में लाना चाहिए.

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शिव प्रकाश मिश्रा 
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