बुधवार, 31 मार्च 2021

बार बार उड़ने की कोशिश

 बार बार उड़ने की कोशिश

गिरती और संभलती थी

कांटों की परवाह बिना वो

गुल गुलाब सी खिलती थी

सूर्य रश्मि से तेज लिए वो

चंदा सी थी दमक रही

सरिता प्यारी कलरव करते

झरने चढ़ ज्यों गिरि पे जाती

शीतल मनहर दिव्य वायु सी

बदली बन नभ में उड़ जाती

कभी सींचती प्राण ओज वो

बिजली दुर्गा भी बन जाती

करुणा नेह गेह लक्ष्मी हे

कितने अगणित रूप दिखाती

प्रकृति रम्य नारी सृष्टि तू

प्रेम मूर्ति पर बलि बलि जाती

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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन

 गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन

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आम्र मंजरी बौराए तन देख देख के

बौराया मेरा निश्च्छल मन

फूटा अंकुर कोंपल फूटी

टूटे तारों से झंकृत हो आया फिर से मन

कोयल कूकी बुलबुल झूली

सरसों फूली मधुवन महका मेरा मन

छुयी मुई सी नशा नैन का 

यादों वादों का झूला वो फूला मन

हंसती और लजाती छुपती बदली जैसी

सोच बसंती सिहर उठे है कोमल मन

लगता कोई जोह रही विरहन है बादल को

पथराई आंखे हैं चातक सी ले चितवन

फूट पड़े गीत कोई अधरों पे कोई छुवन

कलियों से खेल खेल पुलकित हो आज भ्रमर

मादक सी गंध है होली के रंग लिए

कान्हा को खींच रही प्यार पगी ग्वालन

पीपल है पनघट है घुंघरू की छमछम से

गांव की गोरी ने लूट लिया तन मन

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सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5

प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश भारत

19.3.2021

सोमवार, 15 मार्च 2021

दहेज कोई गारंटी नहीं है

 ' दहेज ' कोई गारंटी नहीं है

निपटाने की साज़िश है
घर में घुसने का पास भर है
चलचित्र की सफलता 
अपने अभिनय पर भी है
छह रुपए हों या छह करोड़
मन कहीं मिला  'एक ' का
पार हो गए साठ साल
नहीं मना लो छह दिन की छट्ठठी 
बरही या फिर ......बस।
लालसा है लालच है
पराकाष्ठा है नफरत का बीज
रिश्ते मर जाते हैं
खौलता है खून
बेहया बेशरम लाल लाल फूल
सेमल सा - जैसे  गोला आग का ।
अपनी औकात भर
भर के हम दांत चियार लेते हैं
होंठ फैला जबरन हंस लेते हैं
कभी खेत बेंच के 
कभी कर्ज लेे के 
कभी किसी का गला काट के ।
गारंटी नहीं है कोई 
घर बसा देने की
प्रेम का दिया जला देने की
दिया तो दिया है
क्या रूप धारण कर ले ।
आइए जोड़ें हाथ दुआ करें
पंख मजबूत हों 
चिड़िया उड़े खूब उड़ें
खुले आसमान में ।
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश 
भारत ।