शनिवार, 25 जून 2011

बाघ के मुह में खून लग गया !!


मात पिता से सीखी संस्कृति
सीधा सरल सुहाया मुझको !
लाल बहादुर -गाँधी जैसे कितने सारे
खोज -खोज आदर्श बनाया !!
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ईमां -धन -की गठरी बांधे
लिए पोटली निकल पड़ा
जीवन पथ दुर्गम इतना था
चोर उचक्के ठग ही मिलते
माया मोह लालसा दे- दे
दोस्त बनो -या -आ-कह देते
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पोटली उन्हें अगर ये दे दूं
तो भूखे मर जाऊं !
दोस्त अगर इनका बन जाऊं
जीवन सारा – चोर कहाऊँ !!
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मै ईमां- धन लेकर बढ़ता
घायल- रोज -शिकार -हुआ
बाघ चढ़े सब छाती मेरे
lion_zebra
(फोटो साभार गूगल /नेट से )
बाघ के मुह में खून लग गया !!
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अब गुर्राते मुझे डराते
खून चूस लेंगे सारा !
धन्य मनाओ मूरख मेरी
अब तक तुझे नहीं मारा !!
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इक्के दुक्के जो भी अब तो
राह में मेरी आये !
जख्म लिए- चीखें- चिल्लाएं
इनको राम बचाए !!
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बाघ के मुह अब खून लगा है
कौन हाथ डाले जबड़े पे !
पीड़ा सब के दिल अब होती
चाहे भी – तो कौन बचाए !!
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ले मशाल गर साथ बढ़ सको
लाठी डंडे हाथ !
बाघ से भैया बच पाओगे
राम भी देंगे साथ !!
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बाघ की शक्ति बहुत बढ़ गयी
ताल ठोंक चिल्लाये !
इस रस्ते पर जो आएगा
छोडूं ना बिन खाए !!
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सत्य अहिंसा सत्य की डोरी
जो जबड़ा ना बाँधा !
कल को सारा खून पिएगा
अभी है चूसा आधा !!
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भेद भाव में बँट या मूरख
कुछ दिन मौज मनाओ !
चक्की में कल पिस ही जाना
एक अभी हो जाओ !!
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शुक्ल भ्रमर ५

8 टिप्‍पणियां:

  1. --वाह क्या सटीक कहा है..
    "ले मशाल गर साथ बढ़ सको
    लाठी डंडे हाथ !
    बाघ से भैया बच पाओगे
    राम भी देंगे साथ !!"......

    ---हिम्मते मर्द मददे खुदा ....
    ---God help those who help themselves.
    ---" दैवेन देयामिति कापुरुष: वदन्ति "

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  2. जाकिर अली रजनीश जी अभिवादन -सच कहा आप ने इन्सान विलुप्त हो जायेगा इंसानियत भी विलुप्त हो जाएगी अगर यही हाल रहा तो ..
    आइये बाघ से सावधान रहें -प्रोत्साहन के लिए आभार
    शुक्ल भ्रमर ५

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  3. आदरणीय श्याम गुप्त जी -बहुत सुन्दर निम्न वाक्य आप ने उद्द्धरित किया आप ने , इस रचना के भाव आप समझे आप का समर्थन मिला सुन हर्ष हुआ -काश हमारे लोग इसके अर्थ को समझे और मानें


    -हिम्मते मर्द मददे खुदा ....
    ---God help those who help themselves.
    ---" दैवेन देयामिति कापुरुष: वदन्ति

    -प्रोत्साहन के लिए आभार
    शुक्ल भ्रमर ५

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  4. आदरणीय जे पी तिवारी जी नमस्कार - रचना आप को प्रभावशाली और विचारणीय लगी सुन हर्ष हुआ हम यही अपेक्षा करते हैं की लोग इस रचना को आप के नजरों से देखे और विचार कर कुछ करें
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५

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  5. आदरणीय वीरुभायी जी धन्यवाद आप का रचना में जोश दिखा सुन हर्ष हुआ
    आभार आप का
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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