शनिवार, 11 जून 2011

हमारा जौनपुर शहर

मंगल यादव
सिराजे हिन्द की नगरी के नाम से प्रसिद्ध जौनपुर भारतके उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है। यहां दो लोकसभा क्षेत्र हैं एक जौनपुर शहर और दूसरा मछलीशहर। इस धरती पर देश को स्वतंत्र कराने वाले कई स्वतंत्रता सेनानी जन्में थे। वर्तमान में कई जाने-माने लोग हैं जो जनपद का सर ऊंचा किये हुए हैं। वैज्ञानिक लालजी सिंह, भोजपुरी फिल्म अभिनेता रविकिशन, साहित्य वाचस्पति श्रीपाल सिंह क्षेम, साहित्यकार लालता प्रसाद मौर्या जैसे कई लोग हैं।

इस शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फिरोज तुगलक ने अपने चचेरे भाई सुल्तान मुहम्मद की याद में की थी। सुल्तान मुहम्मद का वास्तविक नाम जौना खां था। इसी कारण इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया। 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया। शर्की शासक कला प्रेमी थे। उनके काल में यहां अनेक मकबरों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया। यह शहर मुस्लिम संस्कृति और शिक्षा के केन्द्र के रूप में भी जाना जाता है। यहां की अनेक खूबसूरत इमारतें अपने अतीत की कहानियां कहती प्रतीत होती हैं। वर्तमान में यह शहर चमेली के तेल, तम्बाकू की पत्तियों, इमरती और स्वीटमीट के लिए लिए प्रसिद्ध है।


(Photo- Google)

अटाला मस्जिद

अटाला मस्जिद का निर्माण कार्य 1377 में शुरू हुआ था जो 1408 में जाकर इब्राहिम शर्की के शासनकाल में पूरा हुआ। यह मस्जिद शर्की वास्तुशिल्प के प्रारंभिक और सबसे बेहतरीन उदाहरणों में एक है। मस्जिद की सबसे प्रमुख विशेषता इसके अग्रभाग में उठा हुआ प्रार्थना कक्ष है। मस्जिद के तीन तोरण द्वार हैं जिनमें सुंदर सजावट की गई है। बीच का तोरण द्वार सबसे ऊंचा है और इसकी लंबाई 23 मीटर है। सांप काटने पर लोग यहां पर दवा पिलाने के लिए आते हैं।

जामी मस्जिद

जौनपुर की इस सबसे विशाल मस्जिद का निर्माण हुसैन शाह ने 1458-78 के बीच करवाया था। एक ऊंचे चबूतर पर बनी इस मस्जिद का आंगन 66 मीटर और 64.5 मीटर का है। प्रार्थना कक्ष के अंदरूनी हिस्से में एक ऊंचा और आकर्षक गुंबद बना हुआ है।

लाल दरवाजा मस्जिद

इस मस्जिद का निर्माण 1450 के आसपास हुआ था। लाल दरवाजा मस्जिद बनवाने का श्रेय सुल्तान महमूद शाह की रानी बीबी राजी को जाता है। इस मस्जिद का क्षेत्रफल अटाला मस्जिद से कम है। लाल पत्थर के दरवाजे से बने होने के कारण इसे लाल दरवाजा मस्जिद कहा जाता है।

खालिश मुखलिश मस्जिद

यह मस्जिद 1417 ई. में बनी थी। मस्जिद का निर्माण मलिक मुखलिश और खालिश ने करवाया था।

शाही ब्रिज

गोमती नदी पर बने इस खूबसूरत ब्रिज को मुनीम खान ने 1568 ई. में बनवाया था। ज्यादा भीड़ होने की वजह से पिछली सपा शाशनकाल में एक और ब्रिज का निर्माण करवाया गया।

शीतला चौकिया धाम

यहां शीलता माता का लोकप्रिय प्राचीन मंदिर बना हुआ है। श्रद्धालुओं का यहां नियमित आना-जाना लगा रहता है।

यमदाग्नी आश्रम

जौनपुर में एक प्राचीन यमदाग्नी आश्रम भी है। यह आश्रम एक धार्मिक केन्द्र के रूप में विख्यात है। संत परशुराम से संबंध रखने वाला यह आश्रम आसपास के क्षेत्र से लोगों को आकर्षित करता है।

अन्य दर्शनीय स्थल

उपरोक्त लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों के अलावा भी जौनपुर में देखने के लिए बहुत कुछ है। उदारहण के लिए शाही किल, ख्वाब गाह, दरगाह चिश्ती, पान-ए-शरीफ, जहांगीरी मस्जिद, अकबरी ब्रिज और शर्की सुल्तानों के मकबरें प्रमुख हैं।

जौनपुर का निकटतम एयरपोर्ट वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री एअरपोर्ट (बाबतपुर एयरपोर्ट) है, जो जौनपुर सिटी से 58 किमी. की दूरी पर है। एअरपोर्ट, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 56 पर है और यात्रा में औसतन 45 से 50 मिनट का समय लगता है।

रेलमार्ग

जौनपुर में २ मुख्य रेलवे स्टेशन हैं, १. जौनपुर जंक्शन (भंडारी) २. जौनपुर सिटी स्टेशन। जौनपुर का रेलवे स्टेशन लखनऊ वाराणसी और मुगलसराय रेललाइन पर पड़ता है। गंगा यमुना एक्सप्रेस, सरयू एक्सप्रेस, वरूणा एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस, वाराणसी-दिल्ली स्पेशल सुपर एक्सप्रेस, सदभावना एक्सप्रेस और श्रमजीवी एक्सप्रेस जौनपुर को अनेक शहरों से जोड़ती है।

सड़क मार्ग

जौनपुर आसपास के अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। भदोही, इलाहाबाद, अयोध्या,लखनऊ,गोरखपुर,आजमगढ़ आदि शहरों से जौनपुर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध है।

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