वे चलते थे ,
पिता के अग्रजों के पद-चिन्हों पर ,
ससम्मान, सादर, सानंद;
आज्ञानत होकर ,
देश समाज राष्ट्र उन्नति हित-
सुपुत्र कहलातें थे |
आज वे-
पिता को, अग्रजों को ,
मनमर्जी से चलाते हैं ;
एन्जॉय करने के लिए,
अवज्ञानत होकर ;
स्वयं को एडवांस बताते हैं,
सनी कहलाते हैं ||
kya bat kahi hai dr.shyam ji suptr aur advance ka bahut achchha vishleshan kiya hai.
जवाब देंहटाएंकरार ब्यंग आज के कूल ड्यूड पर..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
धन्यवाद
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