शनिवार, 14 मई 2011

त्रिपदी

डॉ. वेद व्यथित ने ये रचना ईमेल से भेजी है..
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यह हिंदी काव्य की नई विधा है
यह हाइकू नही है यह तीन पंक्तियों की रचना है
इस में रिदम भी है
थोड़े से शब्दों में काव्य का चमत्कार व रस दोनों की अनुभूति होती है
मेरे ऐसी त्रि पदी देश विदेश में प्रकाशित हो चुकी हैं हो सकता है आप को भी पसंद आ जाये ये प्रचलित क्षणिका नही हैं पर निश्चित ही क्षणिका से भी छोटी विधा है जो क्षणिका नही तो और क्या है
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दीवार से मत कहना
वो सब को बता देगी
ये बूढों का कहना
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गम अपने छुपा रखना
अनमोल बहुत हैं ये
ये कीमती हैं गहना
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दिल खोल के मत रखना
वो राज चुरा लेंगे
कुछ पास नही बचना
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जब हाथ ठिठुरते हैं
तब मन के अलावों में
दिल भी तो जलते हैं
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ये आग ही धीमी है
दिल और जलाओ तो
ये आग ही सीली है
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चूल्हे की सिकी रोटी
अब मिलती कहाँ है माँ
तेरे हाथों की रोटी
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सरसों अब फूली है
देखो तो जरा इस को
किन बाहों में झूली है
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रिश्ते न जम जाएँ
दिल को कुछ जनले दो
वे गर्माहट पायें
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नदियों के किनारे हैं
हम मिल तो नही सकते
पर साथी प्यारे हैं
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मीठी सी बातें थी
गन्ने का रस जैसी
वे ऐसी यादें थीं
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ये प्यार की कीमत है
सब कुछ सह कर के भी
मुंह बंद किये रहना
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फूलों का अर्थ नही
वे फूल से होंगे ही
पर फूल का अर्थ यही
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फूलों ने बताया था
नाजुक हैं बहुत ही वे
कुछ झूठ बताया था
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दिल की क्यों सुनते हो
ये बहुत सताता है
इस की क्यों सुनते हो
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कहते दिल पागल है
इसे समझ नही आती
सच में ये पागल है
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दो राहें जाती हैं
मैं किस पर पैर रखूं
वे दोनों बुलातीं हैं
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ज्वाला भडकाती है
आँखों की चिंगारी
दिल खूब जलाती है
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क्यों आग से घबराना
जब जलना ही था तो
क्यों उस से को नही जाना
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ये आग न खो जाये
दिल में ही इसे रखना
ये राख न हो जये
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यह आग है खेल नही
दिल इस से जलता है
इसे सहना खेल नही
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मन मन्दिर तो है ही
क्यों कि तुम इस में हो
ये मन्दिर तो है ही
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आँखों ही आँखों में
जो बात कही उन से
वो बात है चर्चों में
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एक दिया जलता है
सो जाते हैं सब पंछी
दिल उस का जलता है
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आँखों में समाई है
कोई और नही देखे
तस्वीर पराई है
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यादों का सहारा है
यह उम्र की नदिया का
एक अहं किनारा है <>
यह धूप है जड़ों की
इसे ज्यादा नही रुकना
लाली है गालों की
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आँखों में समाई है
क्यों फिर भी नही आती
ये नींद पराई है
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एक सुंदर गहना है
इसे मौत कहा जाता
ये सब ने पहना है
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यह जन्म का नत अहै
इसे मौत कहा जाता
यह लिख कर आता है
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डॉ. वेद व्यथित

6 टिप्‍पणियां:

  1. सभी त्रिपदी एक से बढ़कर एक लगी..
    आप जैसे अनुभवी ब्यक्तित्व को इस मंच पर देखकर आनंद आ गया..
    बधाइयाँ..

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  2. आँखों में समाई है
    क्यों फिर भी नही आती
    ये नींद पराई है

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  3. एक सुंदर गहना है
    इसे मौत कहा जाता
    ये सब ने पहना है

    बहुत खूब और बहुत सच्ची बातें कहीं हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. एक सुंदर गहना है
    इसे मौत कहा जाता
    ये सब ने पहना है

    बहुत खूब और बहुत सच्ची बातें कहीं हैं

    जवाब देंहटाएं
  5. Gahre anubhav ke ladi saarthak tripadi padhkar man ko bahut achha laga ..
    ...Haardik shubhkamnayen..

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  6. डॉ वेद व्यथित जी -नमस्कार
    सुन्दर रचना बहुत से विषय समाहित प्रेम- विरह से युक्त -निम्न पंक्तियाँ - सुन्दर भाव

    एक दिया जलता है
    सो जाते हैं सब पंछी
    दिल उस का जलता है
    बधाई हो
    शुक्ल भ्रमर ५

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