शनिवार, 7 मई 2011

बढ़कर चढ़कर विजय तिरंगा छाती पर फहरा दो !!


वीर अमर हे ! मातृ भूमि को 
दुश्मन जो ललकारे 
पल में धूल चटा दो उसको 
फिर ना पलक उघारे 
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ---

वैभवशाली  देश हमारा 
विश्व गगन पर छाया 
भूखा गजनी गोरी आया 
सब ने मुह की खाया 
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ---

काया अपनी बहुत बड़ी 
पृथ्वी सारा परिवार 
मंगल चिंतन की कड़ी-झड़ी 
माने सारा संसार 
वीर अमर हे ! मातृ भूमि को ---

हरी भरी  बगिया है अपनी 
रंग विरंगे फूल 
मन की माला एक यहाँ की 
सपने में ना भूल !!
वीर अमर हे ! मातृ  भूमि को ...

मेरा अंग न काटो भाई 
दर्द हमें भी होता 
आँख अगर जो लाल हो गयी 
तो तांडव भी होता 
वीर अमर हे ! मातृ  भूमि को ...

न्यूट्रान- परमाणु- न शक्ति 
कुछ इतिहास- दिखा दो 
बलिदानी जत्थों की भक्ति 
पौरुष ,धैर्य गिना दो 
वीर अमर हे ! मातृ  भूमि को ...

भारत माँ हैं दुर्गा चंडी 

रण - भेरी जब बाजे 
खून गिरे ना-मुंड माल -ही 
ब्रह्म भी सारा काँपे 
वीर अमर हे ! मातृ  भूमि को ...
(photo with thanks from other source)

पृथ्वी -अग्नि रंग विरंगा 
वश में- सब- दिखला दो 
गजनी -गोरी- अभी मिले तो 
आसमान-में ही उनको 
काट -काट- बिखरा दो 
ध्यान रहे- वो -अंग कहीं 
धरती- अपनी - ना -गिर जाएँ 
उन्हें भेज दो- वापस -या -तो 
काले पानी में दफना दो !!
हुँकार करते घुस जाओ 
बढ़कर चढ़कर विजय तिरंगा 


छाती पर फहरा दो !!

वीर अमर हे ! मातृ  भूमि को
 दुश्मन जो ललकारे .......
(photo with thanks from other source)

4 टिप्‍पणियां:

  1. मन वीर रस से ओत प्रोत हो गया...
    जय हिन्दुस्थान जय भारतमाता

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  2. आशुतोष जी धन्यवाद वीर रस है ही ऐसा आइये हम अपने जवानों के लिए ये गीत गाते रहें उनका जोश बढ़ाते रहें
    शुक्ल भ्रमर ५

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  3. गंगाधर जी धन्यवाद वंदे मातरम कह के आप ने रचना में चार चाँद लगा दिया आओ हम अपने जवानों का जोश इसी तरह बढ़ाते चलें जिसकी आज बहुत जरुरत हैं ...

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