शुक्रवार, 27 मई 2011

उपलब्धियों पर हावी होती अव्यवस्थाएं:इलाज के अभाव में राजस्थान की जेलों में दम तोड़ रहे कैदी

लेखिका::खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री
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देश की संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल को दो साल पूरे हो गये|इस दौरान अपने द्वारा किये गये विकास कार्यों का सरकार ने आज एक लेखा जोखा भी जारी किया|इस अवसर पर प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने कहा कि किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नही जायेगा|माना कि सरकार ने अपने दो साल के कार्यकाल में कुछ विकासपरक काम किये होंगे|लेकिन इस दौरान सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों को भी झेले हैं और अब तक सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले भी कांग्रेस के शासनकाल में ही उजागर हुए हैं|दूसरी और इस दौरान देश भर में अव्यवस्थाओं के दौर भी देखने को मिले हैं|देश की जनता को इस वक्त जहाँ शिक्षा शेत्र में और चिकित्सा सुविधाओं के आभाव के दौर से जूझना पड़ रहा अहि वहां देश की जेलों में रहने वाले कैदियों को ये अव्यवस्थाएं झेलनी पड़ रही हैं|
राजस्थान की जेलों में मेडिकल सुविधाओं के अभाव में हर चौथे दिन किसी न किसी कैदी की जान जा रही है। राज्य की जेलों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो साल 2009 और 2010 में जेलों में 180 कैदियों की मौत बीमारी के कारण हो चुकी है । फिर चाहे सबसे सुरक्षित कही जाने वाली जोधपुर सेंट्रल जेल हो या जयपुर सेंट्रल जेल। मरने वाले में सबसे ज्यादा 50 कैदी जयपुर सेंट्रल जेल से हैं। वहीं कोटा सेंट्रल जेल में गुजरे दो सालों में 29 कैदियों की सांसे उखड़ गईं। उदयपुर सेंट्रल जेल से 26 कैदियों की जीवन डोर टूट गई। बीकानेर सेंट्रल जेल में बीमारी और अन्य कारणों से बीते दो सालों में 19 कैदी मारे गए। देश की दूसरी सबसे सुरक्षित जेल जोधपुर सेंट्रल जेल से बीते दो सालों में 15 कैदी हमेशा के लिए आजाद हो चुके हैं। भरतपुर सेंट्रल जेल से पांच, अजमेर सेंट्रल जेल से नौ ओर गंगानगर जेल से दो कैदियों की मौत हो चुकी है। वहीं अलवर जिला जेल से दो कैदी, निंबाहेड़ा उपकारागार से एक कैदी, हनुमानगढ़ जिला जेल से तीन कैदी, डीडवाना जेल से एक कैदी, मांडलगढ़ जेल से एक कैदी, जैतसर जेल से दो कैदी, कोटपूती जेल से दो कैदी, सिरोही, भीलवाड़ा और करौली जेल से एक-एक कैदी की मौत हो चुकी है। चूरू की राजगढ़ जेल से तीन कैदियों की मौत हो चुकी है। डीग, नागौर, ब्यावर, पाली, बीछवाल, राजसिंहनगर जेल से भी एक-एक कैदी की बीमारी से मौत हो गई। वहीं सांगानेर में स्थित खुली जेल से भी एक कैदी की मौत हो चुकी है। रिकॉर्ड्स के अनुसार, राज्य की जेलों में मरने वाले कैदियों में सबसे ज्यादा मौतें टीबी से होना सामने आया है। जेलों में प्राथमिक उपचार के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए दी जानेवाली मेडिकल सुविधाओं के हालात भी नाजुक हैं। अन्य रोगों से निपटने के लिए भी प्राथमिक उपचार के साधनों का अभाव है। हर साल कैदियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सुविधाएं वहीं की वहीं हैं।
इन अव्यवस्थाओं को और भ्रष्टाचार के आरोपों को सरकार की उपलब्धियों पर या दो साल का कायकाल पूरा होने की ख़ुशी पर कालिख कहा जाये तो कुछ गलत नही|क्योंकि अव्यवस्थाएं होते हुए उपलब्धियां अधूरी ही होती हैं|जनता को तो सुविधाएँ चाहियें उपलब्धियां नही|

लेखिका::खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री

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