कुत्ता है बेटा -कुत्ता
बड़े लोगों का कुत्ता
बाप ने नन्हे बच्चे को
समझाते हुए कहा
आँखें ढपी हैं ना
आँखें नहीं मिलाता
पर जानता है
पहचानता है
बड़े कुत्तों को !!
थानेदार ,यस पी को
नेता , सफ़ेद पोश को
दुम हिलाता है
घुसने देता है
मुंह कभी तो चाटता है
छोटे कुत्तों को छोटे जीव को !
डांटता है -खाने को दौड़ता है !!
ऐसे ही !!
मांस खाता है ,
खून पीता है ,
बिस्कुट और दूध भी ,
दर-दर भटकते हैं ,
माँ बाप मरते हैं ,
खाने को - पानी को
दोगला है -नस्ल बदली
किस्मत बदली
फिर छाएगी बदली
चल बेटा चल
पानी मिलेगा
आगे !!
धूप बड़ी तेज है
माथे पे पसीना है
धूप अब
भागे !!!
एक आँखों देखी घटना पर आधारित- एक भूखा प्यासा गरीब सा आदमी बच्चे के साथ चिलचिलाती धूप में जाता -प्यासा -किसी बड़े आलीशान भवन के आगे अहाते के पास सजी वाटिका में पानी देख प्यास बुझाने को आतुर होता है लेकिन बीच में एक बड़ा कुत्ता भौं भौं कर उसके प्यास बुझाने के इरादे को नाकामयाब कर देता है और बाकि वहां कोई चिड़िया भी दर्शन नहीं देती -
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
वाकई मार्मिक चित्रण है ये मगर ये उस व्योस्था का प्रतिफल है जिसे हम अपने दैनिक जीवन में अनुसरित कर रहें हैं,,,
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
आशुतोष जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंहाँ आप की बात सच है -है तो यह उसी व्यवस्था का प्रतिफल मगर इस व्यवस्था में अभी बने रहना हमारी मज़बूरी बन गयी है न जाने कब तक झेलना पड़ेगा इसे -सुना है कुत्ते की पूंछ कभी सीधी ही नहीं होती क्या आज के ज़माने में भी या संभव नहीं है -इस पर हमें गौर करना होगा
धन्यवाद आप का
भ्रमर ५