सेकुलर -सेकुलर
ढोल पीटते -फटा हुआ सा -
गला लिए वो
घूम रहे हैं -जोड़ तोड़ में
सुर थोडा भी अब ना मिलता
कोई शास्त्र लिए बैठा है
कोमल धारा-मधुर तान तो
कोई भैरव गाये
नोटों की गड्डी कुछ भर के
मेरे आश्रम आये
लहराए कुछ गाँधी-
अशोक का चक्र -चलाये
चरखे की कुछ बात किये कुछ
हिन्दू -मुस्लिम गाये
पास -पास में मंच बना के
कीचड होली खेले
घर में सुरा सुंदरी में रम
टीचर प्राइड -
क्या कहते -क्या करते !!
कभी कभी भाव -विह्वल हो रोते
कभी तमंचा तान !!
श्वेत वसन में लिपटा जीवन
भारत बना महान !!
ढोल पीटते -फटा हुआ सा -
गला लिए वो
घूम रहे हैं -जोड़ तोड़ में
सुर थोडा भी अब ना मिलता
कोई शास्त्र लिए बैठा है
कोमल धारा-मधुर तान तो
कोई भैरव गाये
नोटों की गड्डी कुछ भर के
मेरे आश्रम आये
लहराए कुछ गाँधी-
अशोक का चक्र -चलाये
चरखे की कुछ बात किये कुछ
हिन्दू -मुस्लिम गाये
पास -पास में मंच बना के
कीचड होली खेले
घर में सुरा सुंदरी में रम
टीचर प्राइड -
क्या कहते -क्या करते !!
कभी कभी भाव -विह्वल हो रोते
कभी तमंचा तान !!
श्वेत वसन में लिपटा जीवन
भारत बना महान !!
हिन्दू मुस्लिम लड़ा-लड़ा के
घूमें सीना तान !!
कुछ अपने लिखने वाले भी
लिखते चिट्ठी !
गुत्थम -गुत्थी -सेकुलर -रंग में
नेता जी की -करवाते पहचान !!
भरें कटोरा -कम्बल -देते दान !!
घूमें सीना तान !!
कुछ अपने लिखने वाले भी
लिखते चिट्ठी !
गुत्थम -गुत्थी -सेकुलर -रंग में
नेता जी की -करवाते पहचान !!
भरें कटोरा -कम्बल -देते दान !!
नेताजी हो गदगद
दो दिन साथ में बैठे पीते-खाते
खटिया टुटही मडई उनकी
(फोटो साभार अन्य स्रोत से लिया गया )
दो दिन साथ में बैठे पीते-खाते
खटिया टुटही मडई उनकी
(फोटो साभार अन्य स्रोत से लिया गया )
बुढिया-अम्मा का सूखा नल
कोमल कर से छू के जाते !!
आश्वाशन का बड़ा पिटारा
कैद हो जिसमे काला नाग !!
कोमल कर से छू के जाते !!
आश्वाशन का बड़ा पिटारा
कैद हो जिसमे काला नाग !!
जो अन्दर ही तड़प रहा है
खा जाने को -मान !!
आँचल उनके थोप के जाते
पले-बढे विधवा हो कोई
चाहे बने -अनाथ !!
खा जाने को -मान !!
आँचल उनके थोप के जाते
पले-बढे विधवा हो कोई
चाहे बने -अनाथ !!
अपना कोई धर्म नहीं है
जाति नहीं है कोई
हम ना सीमा में बंधते हैं
बंधन ना है कोई !!
“मानव” हैं हम
एक “पुजारी”
“मानवता” के
मन-मंदिर है
प्राण -प्रतिष्ठा
मूरति भी है -इसमें
“झांक” -अगर
जो तेरा चेहरा -दिख जाये तो
भारत बने महान !!
जाति नहीं है कोई
हम ना सीमा में बंधते हैं
बंधन ना है कोई !!
“मानव” हैं हम
एक “पुजारी”
“मानवता” के
मन-मंदिर है
प्राण -प्रतिष्ठा
मूरति भी है -इसमें
“झांक” -अगर
जो तेरा चेहरा -दिख जाये तो
भारत बने महान !!
जो सच है तू कह दे उसको
दर्पण जरा दिखा दे !!
खाली वोटों की खातिर हे
दर्पण जरा दिखा दे !!
खाली वोटों की खातिर हे
कालिख जो मुह उसके पोती
काला उसे बता दे !!
बड़ा जिगर फौलादी कर ले
चिथड़ा -ना तू अन्दर पाले !!
नहीं- सड़ेगा –खून- बहेगा
क्या तेरा उपचार करेगा ??
पहले मुँह उसका धुलवाकर
अपने घर में पाले !!
चंदा सा जो श्वेत दिखे तो
सीने जरा लगा ले !!!!
काला उसे बता दे !!
बड़ा जिगर फौलादी कर ले
चिथड़ा -ना तू अन्दर पाले !!
नहीं- सड़ेगा –खून- बहेगा
क्या तेरा उपचार करेगा ??
पहले मुँह उसका धुलवाकर
अपने घर में पाले !!
चंदा सा जो श्वेत दिखे तो
सीने जरा लगा ले !!!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
३०.४.२०११
३०.४.२०११
सेकुलर बाबा पर बहुत सुन्दर कविता..शायद सेकुलर बाबा को देश से ज्यादा नोटों की गड्डियों से प्यार होता है..
जवाब देंहटाएंआशुतोष भाई जी जय हिंद सच कहा आप ने सेकुलर वोट और नोट बस और उन्हें कुछ याद नहीं -प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुक्ल भ्रमर ५