मै आवारा ना प्यारा बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !
सींचे बिन कोई शीश उठा मिटटी -ना-
-छाया पायी कोई -आँखें रोई !
बचपन में कोई नहीं दुलारा !
सींचे बिन कोई शीश उठा मिटटी -ना-
-छाया पायी कोई -आँखें रोई !
रूखे दूजे चढ़ हरे हुए- अचरज से देखे
काट लिया उसको भी कोई !
गलियारों में कुत्ते भूंके- बच्चे तो छूने ना देते
-ना-आँख मिलायी !
रहा अकेला- मन में खेला -कुंठा ने दीवार बनायीं
लोग कहें हैं पाप कमाई !!
भूखे को दे –टाला खाना -मन कैसा ?
छीना झपटी- क्यों मारा ?? मै आवारा !!
————————————————-
बद अच्छा बदनाम बुरा -खुद कांटे बोकर -
घाव किया न सूखेगा !
नैनों में ना नीर बचा दिल पत्थर क्या तीर चुभे-
फूल कहाँ से फूटेगा !
बढ़ा दिए मन दूर किये जन -फूलों को अब लगता काँटा
अंग कहाँ बन पायेगा !
लगी आग घर -दूर खड़े हम -प्यास लगे ना पानी देता
ख़ाक हाथ रह जायेगा !
खोद कुआँ मै पानी पीता -रोज किसी को दिया सहारा -
मै आवारा ??? ना प्यारा बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !
काट लिया उसको भी कोई !
गलियारों में कुत्ते भूंके- बच्चे तो छूने ना देते
-ना-आँख मिलायी !
रहा अकेला- मन में खेला -कुंठा ने दीवार बनायीं
लोग कहें हैं पाप कमाई !!
भूखे को दे –टाला खाना -मन कैसा ?
छीना झपटी- क्यों मारा ?? मै आवारा !!
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बद अच्छा बदनाम बुरा -खुद कांटे बोकर -
घाव किया न सूखेगा !
नैनों में ना नीर बचा दिल पत्थर क्या तीर चुभे-
फूल कहाँ से फूटेगा !
बढ़ा दिए मन दूर किये जन -फूलों को अब लगता काँटा
अंग कहाँ बन पायेगा !
लगी आग घर -दूर खड़े हम -प्यास लगे ना पानी देता
ख़ाक हाथ रह जायेगा !
खोद कुआँ मै पानी पीता -रोज किसी को दिया सहारा -
मै आवारा ??? ना प्यारा बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !
————————————————-
नासूर बनाये छेड़ छाड़ तो अंग तेरा कट जाएगा
उपचार जरा दे !!
टेढ़ी -मेढ़ी चालें चलता पग लड़ता गिर जायेगा
-तू चाल बदल दे !
भृकुटी ताने आँखें काढ़े -बोझ लिए मन रोयेगा
मुस्कान जरा दे !
अपनों को ही सांप कहे- पागल- तुझको डंस जायेगा
तू ख्याल बदल दे !
आग लगी मन -जल जाता तन-भटका फिरता -
छाँव कहाँ मिल पायेगा -मै आवारा ??
ना प्यारा बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !
!
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नासूर बनाये छेड़ छाड़ तो अंग तेरा कट जाएगा
उपचार जरा दे !!
टेढ़ी -मेढ़ी चालें चलता पग लड़ता गिर जायेगा
-तू चाल बदल दे !
भृकुटी ताने आँखें काढ़े -बोझ लिए मन रोयेगा
मुस्कान जरा दे !
अपनों को ही सांप कहे- पागल- तुझको डंस जायेगा
तू ख्याल बदल दे !
आग लगी मन -जल जाता तन-भटका फिरता -
छाँव कहाँ मिल पायेगा -मै आवारा ??
ना प्यारा बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !
!
————————————————–
आग लगे सब दूर रहें -परिचय चाहूं ना -
जल तप्त हुए -मै ना झुलसाता !
कीचड जाने दूर रहें -अभिनय -साधू ना-
दलदल में वह ना धंस जाता !
बलिदान चढ़ाता- ऋण भूले ना -
सजा काट कर न्याय बचाता -
पाप किये ना पाँव धुलाता
सीमा रेखा में अपनी -सिद्धांत बनाता -
दो टुकड़ों के खातिर कुछ भी -
साजिश कर -ना -देश लुटाता !
माँ बहनों को “प्यार” किये – “बदनाम” भी होता -
आग नहीं तो राख कहीं लग जाएगी -ये आवारा !
मै आवारा ?? ना प्यारा -बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !!!
जल तप्त हुए -मै ना झुलसाता !
कीचड जाने दूर रहें -अभिनय -साधू ना-
दलदल में वह ना धंस जाता !
बलिदान चढ़ाता- ऋण भूले ना -
सजा काट कर न्याय बचाता -
पाप किये ना पाँव धुलाता
सीमा रेखा में अपनी -सिद्धांत बनाता -
दो टुकड़ों के खातिर कुछ भी -
साजिश कर -ना -देश लुटाता !
माँ बहनों को “प्यार” किये – “बदनाम” भी होता -
आग नहीं तो राख कहीं लग जाएगी -ये आवारा !
मै आवारा ?? ना प्यारा -बदनाम हुआ -
बचपन में कोई नहीं दुलारा !!!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
३१.०५.२०११ जल पी. बी .१०.४१ मध्याह्न
३१.०५.२०११ जल पी. बी .१०.४१ मध्याह्न
Bhramar ji
जवाब देंहटाएंaap ka samijik samsyaon aur usse sarokar rakhne wali kaviton ko uthane ka dhang bahut nirala lgata hai...
har bar sundar sundar kah kar aap ki kavita ka awmulyan nahi karna chahta.....
aabhar