अब जब नहीं हो तुम मेरे पास,
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास,
नहीं लिखता हूँ कोई गीत,
तुम्हारे न होने पर....
नहीं आती है,अब तुम्हारी याद...
नहीं होता है अब ये मन,
तुम्हारी याद में उदास.
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास......
कुछ शब्द चुपके से आते हैं.,
विस्मृत स्मृतियों पर,
धीरे से दस्तक दे जातें हैं..
अब नहीं पिरो पाता हूँ, इनको अपनी कविता में..
अब नहीं दे पाता हूँ ,इन शब्दों को अपनी आवाज..
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास....................
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास..
यूँ ही बीत जातें हैं ये दिन,
बरसों हो गए, रूकती नहीं है,
कभी ये काली स्याह रात ...
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास.......
अनजान रास्तों पर, यूँ ही निकल पड़ता हूँ.
कभी गिरता हूँ कभी संभालता हूँ...
अनजाने में महसूस करता हूँ,
कुछ पल के लिये तुम्हारा साथ..
ये जानते हुए भी की मेरे हाथों में,
अब नहीं है तुम्हारा हाथ...
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास..........
ये आँसू अब कभी नहीं बहते हैं,
मन की पीड़ा सबसे नहीं कहतें हैं,.
अगली बार जब तुम मिले,
तो हर लम्हा आँखों मे समेट लेंगे
इसी प्रत्याशा में पलकों पे रुके रहते हैं .....
ये आँसू ...
अब नहीं करातें हैं,
तुम्हारे दूर जाने का एहसास...
अब जब नहीं हो तुम मेरे पास......
बहुत अच्छी कविता बहुत सुन्दर विचार .
जवाब देंहटाएंआपको मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं