पूज्य पिताजी, आपके ताने हमें सोने नहीं देते, नौकरी मिलने दीजिये,मै इस देश
को लूट डालूँगा और आपका पूरा पैसा १०० गुना वापस करूँगा....
दोस्तों, एक बाप क्या चाहता है, की उसका बेटा भी अच्छी शिक्षा लेकर एक नैतिक नागरिक बन जाये, परन्तु देश के लुटेरो ने भारतीय शिक्षा के मायने ही बदल दिए है और इसका व्यवसायीकरण कर दिया है, जानिए---
१-उ.प्र में आजकल जितने स्कुल और कालेज खुल रहे है सब का मालिक यातो विधायक है, या संसद है या मंत्री है,
२-शिक्षा के बदले एक मोटी रकम की फीस ली जाती है,
३-माँ-बाप जितनी बार फीस देते है उतनी बार अपनी संतान को कोसते है की अभी कितने दिन और पढ़ेगा.
४-बार बार ताने सुनकर संतान यही सोचते है की जल्दी से नौकरी मिल जाये और इस देश को लूट डाले.
५-आज की शिक्षा में तो वैसे ही नैतिक शिक्षा हटा दी गयी है दोष चाहे जिसका हो,
सरकारे तो स्कुल खोलने से जानबूझ कर बच रही है जिससे की मंत्री जी को मौका मिले
स्कुल खोलने का, और अपने बेटो के लिए एक स्थायी आय को श्रोत पैदा कर दे रहे है,
ये अनपढ़ संताने स्कुल का प्रबंधक बनकर शिक्षा का बंटाधार कर रहे है,
यदि पढाई के समय से ही छात्रो में धन कमाने की कुंठा घर कर जाए गीतो इस देश के लिए कौन पढ़ेगा और किसके पास ईमानदारी बचेगी, यह देश तो अंग्रेजो की साजिस का पूरी तरह शिकार होकर रह गया है, क्या होना चाहिए-
१-सभी शिक्षा मात्री भाषा और राष्ट्र भाषा में दी जाये,
२-शिक्षा निशुल्क होना चाहिए,शिक्षण सामग्री सस्ती होने चाहिए, हर साल किताबे न बदली जाये,
३-शिक्षा में नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, हमारे पूर्वजो के बारे में बताया जाये न की विदेशी लुटेरो के बारे में.
४-शिक्षा और शिक्षक तथा पूरे संसथान का पूरा खर्च सरकार उठाये,
५-शिक्षा में राष्ट्रीय विषय और शामिल किये जाये और छात्रो को वास्तविक इतिहास पढाया जाये,
६-तब यदि बेटा किसी राष्ट्र सेवा के चुना जाये तो माँ-बाप को गम नहीं होगा क्योंकि खर्चा राष्ट्र दे रहा है. छात्रों में इमानदारी आयेगी और राष्ट्र महान बनेगा.
७-यह सत्य है की देश में पैसे की कमी बिलकुल नहीं है, देश का ४००लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंको वैसे ही पड़े है.
८-सारी समस्या का सिर्फ एक ही जड़ है- भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार नेआदमी को भ्रष्टाचारी होने केलिए मजबूर कर दिया है, अनचाहे मन से घुस देनी पड़ती है.
९- ध्यान से सोचिये-नक्सली समस्या की जड़ में क्या है, आज़ादी के बाद गरीबो को और गरीबी मिली और सक्षम लोगो ने देश को लूट डाला, एक गरीब को आत्मघाती और नक्सली बनने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है, जब की धनी आदमी पैसो को आराम से भोगने के लिए गुंडों को हफ्ता भी देता रहता है,
१०-शिक्षा के खर्च ने लोंगो को तबाह कर दिया है और लोग अपने बच्चो को अब
इमानदार रहने की शिक्षा देना भूल जा रहे है.
को लूट डालूँगा और आपका पूरा पैसा १०० गुना वापस करूँगा....
दोस्तों, एक बाप क्या चाहता है, की उसका बेटा भी अच्छी शिक्षा लेकर एक नैतिक नागरिक बन जाये, परन्तु देश के लुटेरो ने भारतीय शिक्षा के मायने ही बदल दिए है और इसका व्यवसायीकरण कर दिया है, जानिए---
१-उ.प्र में आजकल जितने स्कुल और कालेज खुल रहे है सब का मालिक यातो विधायक है, या संसद है या मंत्री है,
२-शिक्षा के बदले एक मोटी रकम की फीस ली जाती है,
३-माँ-बाप जितनी बार फीस देते है उतनी बार अपनी संतान को कोसते है की अभी कितने दिन और पढ़ेगा.
४-बार बार ताने सुनकर संतान यही सोचते है की जल्दी से नौकरी मिल जाये और इस देश को लूट डाले.
५-आज की शिक्षा में तो वैसे ही नैतिक शिक्षा हटा दी गयी है दोष चाहे जिसका हो,
सरकारे तो स्कुल खोलने से जानबूझ कर बच रही है जिससे की मंत्री जी को मौका मिले
स्कुल खोलने का, और अपने बेटो के लिए एक स्थायी आय को श्रोत पैदा कर दे रहे है,
ये अनपढ़ संताने स्कुल का प्रबंधक बनकर शिक्षा का बंटाधार कर रहे है,
यदि पढाई के समय से ही छात्रो में धन कमाने की कुंठा घर कर जाए गीतो इस देश के लिए कौन पढ़ेगा और किसके पास ईमानदारी बचेगी, यह देश तो अंग्रेजो की साजिस का पूरी तरह शिकार होकर रह गया है, क्या होना चाहिए-
१-सभी शिक्षा मात्री भाषा और राष्ट्र भाषा में दी जाये,
२-शिक्षा निशुल्क होना चाहिए,शिक्षण सामग्री सस्ती होने चाहिए, हर साल किताबे न बदली जाये,
३-शिक्षा में नैतिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, हमारे पूर्वजो के बारे में बताया जाये न की विदेशी लुटेरो के बारे में.
४-शिक्षा और शिक्षक तथा पूरे संसथान का पूरा खर्च सरकार उठाये,
५-शिक्षा में राष्ट्रीय विषय और शामिल किये जाये और छात्रो को वास्तविक इतिहास पढाया जाये,
६-तब यदि बेटा किसी राष्ट्र सेवा के चुना जाये तो माँ-बाप को गम नहीं होगा क्योंकि खर्चा राष्ट्र दे रहा है. छात्रों में इमानदारी आयेगी और राष्ट्र महान बनेगा.
७-यह सत्य है की देश में पैसे की कमी बिलकुल नहीं है, देश का ४००लाख करोड़ रुपये विदेशी बैंको वैसे ही पड़े है.
८-सारी समस्या का सिर्फ एक ही जड़ है- भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार नेआदमी को भ्रष्टाचारी होने केलिए मजबूर कर दिया है, अनचाहे मन से घुस देनी पड़ती है.
९- ध्यान से सोचिये-नक्सली समस्या की जड़ में क्या है, आज़ादी के बाद गरीबो को और गरीबी मिली और सक्षम लोगो ने देश को लूट डाला, एक गरीब को आत्मघाती और नक्सली बनने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है, जब की धनी आदमी पैसो को आराम से भोगने के लिए गुंडों को हफ्ता भी देता रहता है,
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Email:-drsunil75@gmail.com
Website:-www.drsunilkumar.webs.com
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एक दम सही तथ्य व कथ्यों का वर्णन किया गया है...उपाय भी यही होंगे तभी आगे भ्रष्टाचार/अनैतिकता पर अंकुश लग पायगा ...कोई भी लोकपाल/जोकपाल बिल आदि बनालीजिये कुछ नहीं होगा....
जवाब देंहटाएंआपका लेख सही दर्दनाक स्थिति को व्यक्त करता है ..और ऐसा लगभग भारत के हर राज्य में हो रहा है ..इसका मेरी नजर में एक ही समाधान है व्यवस्था परिवर्तन ...
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