रविवार, 14 अगस्त 2011

स्वतन्त्रता दिवस पर...ड़ा श्याम गुप्ता ...

 १-दोहा...
हम स्वतंत्र एडवांस हैं ,मन में गर्व असीम |
पर इस सब में बिक गया, दरवाजे का नीम |

२- त्रिपदा अगीत ....
मौसम श्रृंगार नख शिखों की,
बातें   पुरानी  होगईं  हैं;
कवि ! गीत गाओ राष्ट्रके अब |

 ३- अगीत ..खून सना धागा....
अब वो हिन्दोस्तां ,
कभी वापस नहीं आएगा ;
खून सना धागा ,
कहाँ इतने टुकड़ों को ,
जोड़ पायेगा |

४- अगीत - विकास ...
बिकास की
कुलाचें मारता मेरा देश ,
व्यक्ति को धकियाकर
चढ गया ऊंचा,
होकर निर्धनों का धनी देश |



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