मंगलवार, 5 जुलाई 2011

न समझे तो पानी है


आज सुबह सुबह मौसम बहुत गरम गरम सा लग रहा था 
अभी कुछ देर पहले मौसम का मिजाज बदल गया तो हमने भी अपना 
मिजाज बदल लिया है ................

मोहबत्त  एक एहसासों की पावन सी कहानी है,,,
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है  |
यहाँ सब लोग कहते है ,,मेरी आखो में आँसू है,,,
जो तू समझे तो मोती है ,, जो न  समझे तो पानी है |

जय बाबा बनारस.......................

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भाव -लिखते रहिये
    धन्यवाद आप का
    शुक्ल भ्रमर ५
    आइये कृपया निम्न पर भी अपना सुझाव समर्थन दें
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    भ्रमर की माधुरी
    रस रंग भ्रमर का
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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  2. क्या बात है..निश्चय ही सुन्दर भावपूर्ण मुक्तक है....बधाई ..

    "मोहबत्त(मोहब्बत)एक एहसासों की पावन सी कहानी है,.
    कभी कबीरा दीवाना(था=तो)कभी मीरा दीवानी है|..( दोनों भूतकाल के हैं पर वर्त्तमान की भांति रखना है )
    यहाँ सब लोग कहते है(हैं=बहुबचन ),मेरी आखो में आँसू है(हैं=बहुबचन )
    जो तू समझे तो मोती है(हैं), जो न(ना) समझे तो पानी है |

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