तुम्हारा नाम कविता में जो लिखता हूँ ,
तो मैं पापी…
तेरी यादों को अपना मान लेता हूँ
तो मैं पापी…
कभी तुझको भुलाता हूँ,कभी तुझको बुलाता हूँ…
भुलाता हूँ तो मैं पापी….
बुलाता हूँ तो मैं पापी…….
.........................................
तो मैं पापी…
तेरी यादों को अपना मान लेता हूँ
तो मैं पापी…
कभी तुझको भुलाता हूँ,कभी तुझको बुलाता हूँ…
भुलाता हूँ तो मैं पापी….
बुलाता हूँ तो मैं पापी…….
.........................................
मैं हूँ मजदूर,
पत्थर तोड़ के मैं घर चलाता हूँ..
कभी मंदिर की पौढ़ी पर भी,जा के बैठ जाता हूँ..
पढ़ा था धर्मग्रंथों में,प्रभु के सत्य की महिमा
मेरा सच है मेरी बच्ची,
जो भूखे पेट सोयी है….
मैं सच बोलू तो मैं पापी,मैं ना बोलू तो हूँ पापी…..
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बहुत सुन्दर ||
जवाब देंहटाएंसशक्त प्रस्तुति||
तुम्हारा नाम कविता में जो लिखता हूँ ,
जवाब देंहटाएंतो मैं पापी…
तेरी यादों को अपना मान लेता हूँ
तो मैं पापी…
कभी तुझको भुलाता हूँ,कभी तुझको बुलाता हूँ…
भुलाता हूँ तो मैं पापी….
बुलाता हूँ तो मैं पापी…
aashutosh ji,bahut sundar bhavon ko bahut khoobsurati se abhivyakt kiya hai.badhai
धन्यवाद् रविकर जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् शालिनी जी...
आशुतोष भाई मुबारक हो सुन्दर रचना मूल भाव अच्छे सुन्दर सन्देश -
जवाब देंहटाएंमेरा सच है मेरी बच्ची,
जो भूखे पेट सोयी है….
मैं सच बोलू तो मैं पापी,मैं ना बोलू तो हूँ पापी…..
vaah kyaa baat hai--
जवाब देंहटाएंहम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम ,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता ||
दिल को तोड़ती कविता ! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंjai ho..
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