१. महंगाई ....
मंहंगाई अपने ही तो बुलाई ,
चाहते हैं- शानदार , इम्पोर्टेड -
चमकीला खरीदना ; जो-
महंगे से महंगा हो ,
और एसी शापिंग माल में टंगा हो ;
जिसमें हों स्वचालित सीडियां लगाईं ,
महंगाई तभी तो आई ||
२. सत्संग ...
सत्संग,
एक खरल की भांति है , जो-
व्यक्ति को, प्रेम व भक्ति के भावों से ,
धर्म और ज्ञान के विभावों से ,
रगडता है, और -
बनादेता है,
शुद्ध सरल सत्व - तत्व-सार ,
आत्म-तत्व को परम-तत्व में ,
योग के लिए तैयार |
बड़ी गहरी और सामयिक बात कह दी आपने।
जवाब देंहटाएं...... आभार
शानदार अगीत ||
जवाब देंहटाएंदोनों दमदार |
बहुत-बहुत बधाई ||
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंहमारी इच्छाएं भी महंगाई का कारण हैं..
---सही कहा आशुतोष...इच्छाएं ही महंगाई का कारण हैं...
जवाब देंहटाएं---धन्यवाद मदन शर्मा जी व रविकर जी....