सोमवार, 16 अप्रैल 2012



जंग से जमीन में 
घाव बहुत होते हैं 
जख्म गर भरे भी तो 
रोम-रोम रोते हैं !
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इन्सां ने इन्सां को 
इन्सां सा प्यार दिया 
स्वर्ग धरा लाये आज 
जिन्दगी संवार लिया 
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बेटियों ने बेटों को 
जी भर के प्यार दिया 
बेटों ने बदले में 
कोख में ही मार दिया ?


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गीली सी मिटटी है 
प्यारा कुम्हार 
पीट पीट ढाल रहा 
सांचे में खांचे में 
देता आकार !
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