मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

यहीं खिलेंगे फूल


यहीं खिलेंगे फूल
——————–
क्या सरकार है कैसे मंत्री
काहे का सम्मान ??
भिखमंगे जब गली गली हों
भ्रष्टाचारी आम !
——————————
माँ बहनें जब कैद शाम को
भय से भागी फिरतीं
थाना पुलिस कचहरी सब में -
दिखे दु:शासन
बेचारी रोती हों फिरतीं
——————————-
बाल श्रमिक- होटल ढाबों में
मैले –कुचले- भूखे -रोते
अधनंगे भय में शोषित ये
बच्चे प्यारे वर्तन धोते
——————————
इंस्पेक्टर लेबर आफीसर
बैठ वहीं मुर्गा हैं नोचे
खोवा दूध मिलावट सब में
फल सब्जी सब जहर भरा
खून पसीने के पैसे से
क्यों हमने ये तंत्र रचा ??
———————————–
जिसकी लाठी भैंस है उसकी
लिए तमंचा गुंडे घूमें
चुन -चुन हमने- बेटे भेजे
जा कुछ रंग दिखाए
नील में –गीदड़- जा रंगा वो
कठपुतली बन नाचे जाए
———————————
गली -गली जो गला फाड़ते
बदलूँ दुनिया कल तक बोला
मिट्ठू मिट्ठू जा अब बोले
कभी बने बस -भोला-गूंगा
——————————
रिश्ता नाता माँ तक भूला
कैसा नामक हराम !
पढ़ा पढाया गुड गोबर कर
देश न आया काम !
मुंह में राम बगल में छूरी
क्या दुनिया – हे राम !
किस पर हम विस्वास करें हे
नींदे हुयी हराम !
—————————–
आओ भाई सब मिल करके हम
अपना बोझ उठायें
जो हराम की खाएं उनसे
सब हिसाब ले आयें
——————————–
वीर प्रतापी जनता सारी
तुम सब ही हो सच्चे राजा
कर बुलंद आवाजें अपनी
देखो कैसे जग थर्राता
सहो नहीं हे सहो नहीं तुम
एक बनो सब -सच्चे-भ्राता
——————————-
जो काँटा बोओ -पालोगे
यही गड़ें- बन शूल
कहें “भ्रमर” -सूरज- हे निकलो
करो भोर हे ! समय अभी अनुकूल
करो सफाई घर घर अपने
काँटा फेंको दूर
चैन से कोमल शैय्या सो लो
यहीं खिलेंगे फूल
Bhramar5
————————————-
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२.४.१२ कुल्लू यच पी
७-७.३९ पूर्वाह्न




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्या सरकार है कैसे मंत्री
    काहे का सम्मान ??
    भिखमंगे जब गली गली हों
    भ्रष्टाचारी आम !
    वाह भ्रमर जी ! क्या बात है .....एक कड़वी सच्चाई बयां की है आपने ....
    अब तो यही जी करता है की कहीं से बन्दुक पा जाऊं तथा इन निर्लज्ज नेताओं को चुन चुन कर भून दूँ जो कहते है की अगर व्यवस्था परिवर्तन करना है तो खुद भ्रष्ट तरीके से उनकी तरह चुन कर आइये फिर बात कीजिये ...

    जवाब देंहटाएं
  2. bhramar ji ki vyangaatmak kavita bahut pasand aai ek samsaamayik rachna sachchaai se paripoorn.

    जवाब देंहटाएं