रविवार, 13 मई 2012

बेटों ने बदले में कोख में ही मार दिया ?



जंग से जमीन में 
घाव बहुत होते हैं 
जख्म गर भरे भी तो 
रोम-रोम रोते हैं !
--------------------
इन्सां ने इन्सां को 
इन्सां सा प्यार दिया 
स्वर्ग धरा लाये आज 
जिन्दगी संवार लिया 
-------------------------
बेटियों ने बेटों को 
जी भर के प्यार दिया 
बेटों ने बदले में 
कोख में ही मार दिया ?
-------------------------------
गीली सी मिटटी है 
प्यारा कुम्हार 
पीट पीट ढाल रहा 
सांचे में खांचे में 
देता आकार !
-------------------------
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर'५ 

2 टिप्‍पणियां: