जंग से जमीन में
घाव बहुत होते हैं
जख्म गर भरे भी तो
रोम-रोम रोते हैं !
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इन्सां ने इन्सां को
इन्सां सा प्यार दिया
स्वर्ग धरा लाये आज
जिन्दगी संवार लिया
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बेटियों ने बेटों को
जी भर के प्यार दिया
बेटों ने बदले में
कोख में ही मार दिया ?
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गीली सी मिटटी है
प्यारा कुम्हार
पीट पीट ढाल रहा
सांचे में खांचे में
देता आकार !
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर'५
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर'५
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंनमन माँ ||
VERY NICE POST
जवाब देंहटाएंhttp://rsdiwraya.blogspot.in/2014/01/rochak-jankari-from-newspeper.html