गुरुवार, 3 मई 2012
हरियाणा में घटा लिंगानुपात, प्रदेशी बहुओं का आगमन शुरु
मंगल यादव, जौनपुरी,
दिल्ली- जितने हम शिक्षित होते जा रहे हैं उतना ही लिंगानुपात बढ़ता जा रहा है। हाल में हुए
आर्थिक सर्वे के अनुसार देश के सबसे अधिक धनी राज्यों में शुमार हरियाणा में लिंगानुपात काफी चिंताजनक है। प्रदेश में प्रति 1000 पुरुषों पर केवल 830 महिलाएं मौजूद हैं। हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात 880 और शहरी इलाकों में 871 है।
जनगणना 2011 के अनुसार फिरोजपुर झिरका तहसील में शहरी लिंगानुपात सबसे अब्बल है। झिरका तहसील में प्रति हजार पुरुषों पर 915 महिलाएं हैं जो कि समस्त हरियाणा प्रदेश में सर्वाधिक हैं। शहरी लिंगानुपात में दूसरे नंबर पर रतिया और तीसरे नंबर पर मेवात की पुन्हाना तहसील है।
रतिया में प्रति हजार पुरुषों पर 912 महिलाएं और पुन्हाना में प्रति हजार पुरुषों पर 911 महिलाएं हैं। जनगणना 2011 के जारी किए गए आंकड़ों में हरियाणा तहसील स्तर पर लिंगानुपात में रेवाड़ी जिले की कोसली प्रथम स्थान पर है, जहां प्रति हजार पुरुषों पर 924 महिलाएं हैं, दूसरे स्थान पर रतिया है जहां प्रति हजार पर 917 महिलाएं हैं, तीसरे स्थान पर मेवात जिले की पुन्हाना तहसील है, जहां प्रति हजार पर 911 महिलाएं हैं। फिरोजपुर झिरका का इस सूची में चौथा स्थान है।
हरियणा सरकार ने लिंगानुपात को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लाडली योजना नाम की एक विशेष योजना शुरु की है। इस योजना के तहत 20 अगस्त 2005 या इसके बाद किसी भी परिवार में दूसरी लड़की के जन्म होने पर पांच हजार रुपए पांच वर्ष के लिए किसान विकास पत्रों में निवेश किया जाता है। दूसरी बेटी के 18 वर्ष की आयु होने पर परिपक्व राशि वर्तमान ब्याज दरों पर लगभग 87 हजार रुपए दी जाती है।
गौरतलब है कि हरियाणा में लिंगानुपात वर्ष 2007 में 1000 पर 810 की लिंग दर, वर्ष 2008 में सुधार होकर यह 839 पहुंचा तथा वर्ष 2009 में यह आंकड़ा अपने उच्चतम स्तर 869 तक पहुंच गया तथा वर्ष 2010 में 802 का आंकड़ा रहा। पिछले वर्ष 2011 में आंकड़ा गिरकर महज 761 पर आ गया।
अब तो हरियाणा के छोरों के हाथ पीले करने के लिए देश के दूसरे राज्यों से लड़कियों और महिलाओं की खरीदा जाने लगा है। तभी तो हरियाणा सरकार को दूसरे राज्यों से हरियाणा में दुल्हन बनकर आने वाली परदेसी बहुओं की हिफाजत की चिंता सताने लगी है। सरकार ने मान लिया गया है कि प्रदेश में लिंगानुपात के अंतर के बढ़ने से प्रत्येक युवक के लिए दुल्हन ढूंढ पाना संभव नहीं है। बाहरी राज्यों से दुल्हन लाना एकमात्र विकल्प है।
सरकार को को चिंता सता रही है कि लिंगानुपात को संतुलित बनाए रखने के लिए इन दुल्हनों को केवल खरीद-फरोख्त की दुल्हन न बनने दिया जाए बल्कि उन्हें पत्नी का सही दर्जा भी मिले। इन महिलाओं का शोषण न हो ताकि संतान होने पर उन्हें वापस राज्य में भेजने पर रोक लगाई जा सके। इसके लिए प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग निदेशालय ने एक योजना का प्रस्ताव तैयार किया है। इस संबंध में सभी जिला मुख्यालयों से अविलंब वांछित जानकारी मांगी गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग निदेशक की ओर से भेजे गए पत्र में सभी जिलों से आउट ऑफ स्टेट की लड़कियों व महिलाओं की शादी की सूचना मांगी है। अक्सर बाहर से लाई दुल्हनों को धनवान व्यक्ति से शादी के स्वप्न दिखाकर शारीरिक व मानसिक शोषण का शिकार बनाया जा रहा है। इससे प्रदेश मानव तस्करी का लुभावना और व्यापक रूप ले रहा है।
हरियाणा के लोग अगर लिंगानुपात को संतुलित करने के जब तक खुद को आगे नहीं ले आयेगे तब तक सरकार के सारे वादे और नियम कायदे ताक पर रखे रह जायेगें। और लोग शादी करने के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहेंगे। लेकिन लगभग ऐसे ही स्थिति सभी राज्यों पर हो चली है। किसी भी राज्य भी राज्य में लिंगानुपात 1000 से नीचे ही है।
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