सावन के अंधे को हरा ही हरा नज़र आता है और कुछ नज़र ही नहीं आता है .
सावन मैं सब कुछ हरा ही हरा रहता है मौसम बहुत सुंदर रहता है
सब लोग उस मौसम को पसंद करते है मगर कुछ लोग उस मैं कुछ न कुछ
किन्तु परन्तु बता देते है किया किसी एक नजीर से पुरे के पुरे समाज की परिभासा नहीं लिखी जा सकती है.
शराबी को हर जगह शराबी मिल जाते है
तसडी को हर जगह तसडे मिल जाते है उसी तरह बुरे करने वालो को हर किसी बात मैं
हर किसी परंपरा मैं कुछ न कुछ बुराई नज़र आ ही जाती है .....क्योकि उनका चस्मा उसी को देखता है .........
जय बाबा बनारस .....
बोतल में पानी लिए, भटकें चारों ओर |
जवाब देंहटाएंगला सूखता प्यास से, ढूंढें दारु-खोर ||