शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

उदयाचल

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जब भास्कर आते है खुशियों का दिप जलाते है !
जब भास्कर आते है अन्धकार भगाते है !!
जब सारथी अरुण क्रोध से लाल आता !
तब सारा विश्व खुशियों से नहाता !!
वह लोगो को प्रहरी की भांती जगाये !
लोगो के मन मे खुशियों का दिप जलाये !!
जब सारा विश्व सो रहा होता है !
वह दुनिया को जगा रहा होता है !!
उसके तेज से है सभी घबराते !
उसके आगे कोई टिक नही पाते !!
उसके आने से होता है खुशियों मे संचार !
उसके चले जाने से हो जाता अंधकार !!
उसके चले जाने से दुनिया होती निर्जन !
उसके आ जाने से धन्य होता जन-जन !!
यदी शुर्य नही होता यह शोच के हम घबराते !
बिना शुर्य के प्रकाश के हम रह नही पाते !!
शुर्य के आने से अन्धकार घबराता !
उसके तेज के सामने वह टीक नही पाता !!
इनके आने से होता धन्य-धन्य इन्सान !
सभी उन्हे मानते है भगवान !!
जब हिमालय पर आती उनकी लाली !
उनके आ जाने से हिम भी घबराती !!
इनके आ जाने से जीवन मे होता संचार !
आने से इनके होता प्रकाशमान संसार !!

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