बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

माँ


ममता और सौहार्द से बनी हुयी है माँ  !

कोई कहे कुमाता कोई माता लेकिन है माँ  !!
जिसके स्पर्श भर से बेटा  प्रसन्न हो उठता है !
जिसके उठने से ही सुरज भी उठता है !!
माँ  को देखकर बच्चा पुलकित  हो उठता है !
बच्चो को पाकर माँ  का रोम-रोम खिल उठता है !!
यौवन मे भी माँ  को बेटा लगता प्यारा !
बेटा समझ न पाता मन का है कच्चा !!
सारी दुनिया समझे उसे घोर कपुत !
माँ  को लगता बेटा सच्चा,वीर,सपुत !!
माँ  शब्द मे है ममता का एहसास  !
बरसो है पुराना माँ  का इतिहास !!

2 टिप्‍पणियां:

  1. माँ गंगा की उज्जवल नीर है | माँ सब कुछ धो देती है |माँ को साष्टांग प्रणाम | कुछ समय के लिए दिल भावुक हो गया | आप को बधाई सुन्दर कविता के लिए |

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  2. जी बहूत-बहूत शुक्रिया शाव जी

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