ममता और सौहार्द से बनी हुयी है माँ !
कोई कहे कुमाता कोई माता लेकिन है माँ !!
जिसके स्पर्श भर से बेटा प्रसन्न हो उठता है !
जिसके उठने से ही सुरज भी उठता है !!
माँ को देखकर बच्चा पुलकित हो उठता है !
बच्चो को पाकर माँ का रोम-रोम खिल उठता है !!
यौवन मे भी माँ को बेटा लगता प्यारा !
जिसके स्पर्श भर से बेटा प्रसन्न हो उठता है !
जिसके उठने से ही सुरज भी उठता है !!
माँ को देखकर बच्चा पुलकित हो उठता है !
बच्चो को पाकर माँ का रोम-रोम खिल उठता है !!
यौवन मे भी माँ को बेटा लगता प्यारा !
बेटा समझ न पाता मन का है कच्चा !!
सारी दुनिया समझे उसे घोर कपुत !
माँ को लगता बेटा सच्चा,वीर,सपुत !!
माँ शब्द मे है ममता का एहसास !
बरसो है पुराना माँ का इतिहास !!
सारी दुनिया समझे उसे घोर कपुत !
माँ को लगता बेटा सच्चा,वीर,सपुत !!
माँ शब्द मे है ममता का एहसास !
बरसो है पुराना माँ का इतिहास !!
माँ गंगा की उज्जवल नीर है | माँ सब कुछ धो देती है |माँ को साष्टांग प्रणाम | कुछ समय के लिए दिल भावुक हो गया | आप को बधाई सुन्दर कविता के लिए |
जवाब देंहटाएंजी बहूत-बहूत शुक्रिया शाव जी
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