गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

क्या प्रशांत भूषण की पिटाई सही है या प्रशांत भूषण का बयान सही था ??????

क्या प्रशांत भूषण की पिटाई सही है या प्रशांत भूषण का बयान सही था ??????
प्रशांत भूषण ने 25 सितंबर को वाराणसी में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में कश्मीर के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया था...ये रहा वो बयान...क्या प्रशांत भूषण की पिटाई सही है या प्रशांत भूषण का बयान सही था

जम्मू-कश्मीर को बल के ज़रिए देश में रखना हमारे लिए घातक होगा...देश की सारी जनता के लिए घातक होगा...सिर्फ वहां की जनता के लिए नहीं पूरे देश की जनता के हित में नहीं होगा...मेरी राय ये है कि हालात वहां नार्मलाइज़ करने चाहिए...आर्मी को वहां से हटा लेना चाहिए...आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्ट को खत्म करना चाहिए...और कोशिश ये करनी चाहिए कि वहां की जनता हमारे साथ आए...अगर उसके बाद भी वो हमारे साथ नहीं है...अगर वहां की जनता फिर भी यही कहती है कि वो अलग होना चाहते हैं...मेरी राय ये है कि वहां जनमत संग्रह करा के उन्हें अलग होने देना चाहिए...

प्रशांत भूषण के इसी बयान की वजह से उनकी वहशियाना अंदाज़ में थप्पड़-घूंसे-लात से पिटाई की गई...
क्या इस तरह का बयान देना देश हित मैं है प्रशांत भूषण जी यह कियु भूल गए की उसी कश्मीर मैं कुछ लाख कश्मीरी पंडित रहते थे वह आज कल कहा पर है ......????????

5 टिप्‍पणियां:

  1. समय चाहिए आज आप से, पाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |
    परिचय पढ़िए, प्रस्तुति प्रतिपल, शुक्रवार के इस प्रभात से ||
    टिप्पणियों से धन्य कीजिए, अपने दिल की प्रेम-माप से |
    चर्चा मंच

    की बाढ़े शोभा , भाई-भगिनी, चरण-चाप से ||

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  2. तरीका ग़लत है लेकिन थप्पड़-घूंसे-लात से पिटाई जायज़ है.
    कश्मीर देश का हिस्सा है. अगर कश्मीर को अलग करना चाहते है तो देश की जनता को फ़ैसला लेना चाहिए की क्या देश की जनता भी कश्मीर को छोड़ने की इच्छा रखती है.
    प्रशांत भूषण को इस तरह के गंभीर विषय पर अपने बयान नही देने चाहिए नही तो अभी तक अन्ना जी के आंदोलन से जो कमाया है वह मिट्टी मे मिल जाएगा मेरे हिसाब से तो यह बयान देशद्रोह के रूप मे देखा जाना चाहिए.

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  3. तरीका ग़लत है लेकिन थप्पड़-घूंसे-लात से पिटाई जायज़ है.
    कश्मीर देश का हिस्सा है. अगर कश्मीर को अलग करना चाहते है तो देश की जनता को फ़ैसला लेना चाहिए की क्या देश की जनता भी कश्मीर को छोड़ने की इच्छा रखती है.
    प्रशांत भूषण को इस तरह के गंभीर विषय पर अपने बयान नही देने चाहिए नही तो अभी तक अन्ना जी के आंदोलन से जो कमाया है वह मिट्टी मे मिल जाएगा मेरे हिसाब से तो यह बयान देशद्रोह के रूप मे देखा जाना चाहिए.

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  4. वाणी पुन्नू की प्रबल, अन्नू का उपवास |
    चित्तू का डंडा सबल, दिग्गू का उपहास |

    लोकपाल मुद्दा बड़ा, जनता तेरे साथ |
    काश्मीर का मामला, जला रहा क्यूँ हाथ ?

    कालेधन से है बड़ा, माता का सम्मान |
    वैसी भाषा बोल मत, जैसी पाकिस्तान ||

    झन्नाया था गाल जब, तू तेरा स्टाफ |
    उस बन्दे को कूटते, हमें दिखे थे साफ़ ||

    सड़को पर जब आ गया, सेना का सैलाब |
    तेरे बन्दे पिट गए, कल से थे बेताब |

    करना यह दावा नहीं, हो गांधी के भक्त |
    बड़ी दलीलें तुम रखो, उधर है डंडा फ़क्त ||

    वैसे दूजे पक्ष को, मत कर नजरन्दाज |
    त्रस्त बड़ी सरकार थी, मस्त हो रही आज ||

    पहले पीटा फिर पिटा, चले कैमरे ठीक |
    होती शूटिंग सड़क पे, नियत लगे ना नीक ||

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  5. भाई साहब,.यहाँ पर मेरा अभिप्राय यह है कि चाहे जो कुछ बी गलत या सही हो, हमें अपने हांथ में कानून नही लेना चाहिए । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढाएं । धन्यवाद।

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