सोमवार, 15 मार्च 2021

दहेज कोई गारंटी नहीं है

 ' दहेज ' कोई गारंटी नहीं है

निपटाने की साज़िश है
घर में घुसने का पास भर है
चलचित्र की सफलता 
अपने अभिनय पर भी है
छह रुपए हों या छह करोड़
मन कहीं मिला  'एक ' का
पार हो गए साठ साल
नहीं मना लो छह दिन की छट्ठठी 
बरही या फिर ......बस।
लालसा है लालच है
पराकाष्ठा है नफरत का बीज
रिश्ते मर जाते हैं
खौलता है खून
बेहया बेशरम लाल लाल फूल
सेमल सा - जैसे  गोला आग का ।
अपनी औकात भर
भर के हम दांत चियार लेते हैं
होंठ फैला जबरन हंस लेते हैं
कभी खेत बेंच के 
कभी कर्ज लेे के 
कभी किसी का गला काट के ।
गारंटी नहीं है कोई 
घर बसा देने की
प्रेम का दिया जला देने की
दिया तो दिया है
क्या रूप धारण कर ले ।
आइए जोड़ें हाथ दुआ करें
पंख मजबूत हों 
चिड़िया उड़े खूब उड़ें
खुले आसमान में ।
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश 
भारत ।

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