फारुख अब्दुल्ला ने कल एक जनसभा को
संबोधित करते हुए भारत के 125 करोड लोगों की भावनाओं पर कुठाराघात किया और कहा कि क्या पीओके क्या आपकी (हिन्दुस्तान) बपौती
है ? क्या पीओके उनके (हिन्दुस्तानियों) बाप का है ? जी हाँ हमारे....हम सबके बाप
का है और रहेगा. असली मुद्दा है कि जो कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में है वह कब वापस आएगा ?
फारूक का ये बयान पूरे हिन्दुस्तान के लिए एक गाली है इसलिए बिना राजनीति किये
सारे दलों को चाहिए कि न केवेल इसकी निंदा करें बल्कि उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की
जाय उस पर भी एकमत होना चाहिए.
कुछ लोग बहुत भ्रम में जीते है उन्हें
संदेह रहता है कि वे खुद किसकी बपौती है ?
हिन्दुस्तान की या पकिस्तान की ? क्या पीओके उनकी बपौती है ? या पाकिस्तान उनका बाप है ? इतिहास
गवाह है फारूक के बाप के नेहरू से बड़े अच्छे सम्बब्ध थे (कारण कुछ भी हो). उनके
बाप शेख अब्दुल्ला ने भारत के साथ विश्वाश घात किया और देशद्रोह किया. मजबूरी में नेहरू को उन्हें देश
द्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डालना पड़ा. कम से कम हम हिन्दुस्तानियों के
बाप देशद्रोही तो नहीं थे. आपके बाप की तुलना हमारे बाप से नहीं हो सकती. एक देश
द्रोही का बेटा भी देश द्रोही ही निकला .
कश्मीर को शुरू से ही केंद्र से इतनी
वित्तीय सहायता मिलती रही है जितनी उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी नहीं मिली
और जिसका वहा के नेताओं ने सिर्फ अपने
हितों में स्तेमाल किया. क्या फारूक बता सकते है कि लन्दन में उनके पास अकूत
संम्पति कहाँ से आई ? ये हम हिन्दुस्तानियों के बाप का पैसा है. आज नोट बंदी की
वजह से फारूक के सिर्फ कुछ सौ करोड़ रुपये बेकार हुए हैं और इतनी बौखलाहट ? उन्हें चिंता
है कि अब पत्त्थर कैसे फेंके जायेंगे ? आतंकबादी कैसे पाले जायेंगे और जब ये सब
नहीं हो पायेगा तो भारत सरकार को ब्लैक मेल कैसे कर पाएंगे ? हिन्दुस्तान के पैसे
से बाप बेटे दोनों ऐश कर रहे है. कश्मीर की समस्या सुलझ जायेगी तो इनका धंधा चौपट
हो जायेगा. पुश्तैनी धंधा है भाई, भला कोइ इतनी आसानी से बंद करना चाहेगा?
इस तरह के देशद्रोहियों और पकिस्तान के
समर्थन में खड़े होने वाले हर व्यक्ति का का हर स्तर पर विरोध होना चाहिए और इन्हें
इनकी औकात में लाना चाहिए.
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शिव प्रकाश मिश्रा
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