रिश्ते प्यार के
और रस्ते पहाड़ के,
कभी बिल्कुल आसान
तो नही होते,
कभी आंधी,
कभी तूफान,
कभी धूप,
कभी छांव ,
तो कभी साफ आसमान
नहीं होते ।
थोड़ी सी बेचैनी से,
सैलाब उमड़ पड़ते है
अक्सर,
और आंखे भी निचोड़ी जाय,
तो कभी
आँसू नहीं होते ,
प्यार एक धर्म है
मर मिटने का ,
जिसके हर कर्म मे मर्म तो है
पर हर कर्म के
विधि,
विधान और संविधान
नही होते,
भावनाओं की,
कभी बैलेंस शीट बनाई नहीं जाती,
निवेश के समानुपात लाभ मिलेगा,
ऐसी आश भी लगाई नहीं जाती,
कौन समझा है किसे ?
और कितना ?
ये समझ कर ही तो ,
दिल की हर बात बताई नही जाती ।
सच्चाई क्या है ?
कैसी है ?
ठीक अहसास नहीं देती है,
अब तो अपनी ही नजर
काफी कमजोर हुई लगती है,
दिल है बोझिल,
तो गनीमत है,
कुछ मिल सकता है इससे ,
बहुत बेचैन है, परेशान है ,
हर शहर अपने खालीपन
से ॥
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शिव प्रकाश मिश्रा
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