गुरुवार, 25 जुलाई 2013

अमर्त्यसेन, नोबल पुरस्कार और हिंदुस्तान

हम मे से ज़्यादातर श्री अमर्त्यसेन को तभी से जानते हैं जब उन्हे नोबल पुरस्कार मिला था और तभी से ये जाना है की वह हिन्दुस्तानी है लेकिन वर्षो से अमेरिका मे रह रहे हैं । उसके पहले अधिकाँश लोगो को नही मालूम था कि वह कौन थे कहाँ रहते थे और क्या कर रहे थे ? ऐसा बहुत हिन्दुस्तानियो के साथ हुआ है जिनकी पहिचान पहले विदेशो मे बनी तदन्तर उन्हे हिंदुस्तान मे सम्मानित किया गया । श्री अमर्त्यसेन को नोबल पुरस्कार मिलने के बाद ही भारत रत्न से सम्मा नित किया गया ।

        नोबल पुरस्कार विश्व के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों मे है और इसका मिलना बिषय विशेष मे समाज के प्रति उत्कृष्ट योगदान का प्रतीक है । इसका मिलना  लोगो को अंतराष्ट्रीय हीरो बना देता है। पूरे वैश्विक समाज मे उनका अच्छा खासा प्रभाव होता है । जाहिर है पूरा संसार उनके हर वक्तव्य को बहुत ध्यान से सुनता है और उसकी छाप समाज पर पड़ती है । एक बात और ध्यान देने योग्य है कि आदमी चाहे कितनी ही बड़ी सख्सियत हो जाए, चाहे कितना ही बड़ा स्टार हो जाए वह  अपने अंदर मूलरूप से बेहद साधारण इंसान को सँजोये रहता है,जो हमेशा छिपा रहता है । समान्यतया ऐसे व्यक्ति अपनी सख्सियत के हिसाब से बोलते है । समाज की अपेक्षा भी यही होती है। जब कभी उनके अंदर का छिपा हुआ साधारण इंसान बोल पड़ता है,जो उनकी बनी छवि के विपरीत भी हो सकता है, तो प्रतिक्रिया या उबाल  होना स्वाभाविक है ।  ऐसे व्यक्तियों से उनकी छवि के अनुसार बोलने की अपेक्षा की जाती हैं जो उचित भी है ।
        हाल मे भारतरत्न अमर्त्यसेन ने एक टीवी चैनल को साक्षात्कार मे कहा कि श्री नरेंद्र मोदी उन्हे प्रधान मंत्री के रूप मे स्वीकार नहीं है । उनके इस वक्तव्य पर बीजेपी का नाराज होना स्वाभाविक था। एक भारत रत्न और नोबल लारीट को इस तरह के राजनैतिक संवेदन शील बयान से बचना चाहिए था । भारत रत्न और वो भी विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री से भारत मे कोई भी सरकार हो, देश मार्ग दर्शक की भूमिका की अपेक्षा करता रहेगा । 
    बीजेपी के एक नेता ने बहुत ही कडा वक्तव्य देते हुए कहा कि अगर उनकी सरकार आई तो वे भारतरत्न की उपाधि वापस ले लेगे। बाद मे पार्टी ने ये वक्तव्य वापस ले लिया ।
        भारत जैसे देश मे बोलने की स्वतन्त्रता है होनी भी  चाहिए इसमे कोई दो राय नहीं हो सकती किन्तु जिम्मेदार व्यक्ति को ज़िम्मेदारी से बोलना चाहिए और जिम्मेदार व्यक्तियों को प्रतिक्रिया भी उतनी ही ज़िम्मेदारी से देना चाहिए । देश मे राजनीति बहुत है आवश्यकता से बहुत ज्यादा। इस देश को गैर राजनैतिक मार्ग दर्शन की सख्त आवश्यकता है और श्री सेन से ये देश निवेदन करता है कि वे कृपया ऐसा करते रहें और राजनीतिक पचड़ो मे न पड़े ।                **********
 
             शिव प्रकाश मिश्रा 

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