आगामी 15 जुलाई 2013 से भारत संचार निगम तारों का प्रेषण बंद कर देगा और एक अत्यधिक महत्व पूर्ण और एतहासिक घटना का पटाक्षेप हो जाएगा । आइए एक निगाह डालते है टेलेग्राम के विकाश और विस्तार पर ।
टेलिग्राफ युनानी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है दूर से लिखना। आजकल विद्युतद्वारा संदेश भेजने की इस पद्धति को तार प्रणाली तथा इस प्रकार समाचार भेजने को तार या टेलीग्राम करना या भेजना कहते है। लगभग दो शताब्दी पूर्व वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में यह विचार आया कि विद्युत् की शक्ति से भी समाचार भेजे जा सकते हैं। सर्वप्रथम प्रयोग स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक डा0 माडीसन से सन् 1753 में इस दिशा मे किया। इसको मूर्त रूप देने में ब्रिटिश वैज्ञानिक रोनाल्ड का हाथ था, जिन्होने सन् 1838 में तार द्वारा खबरें भेजने की व्यावहारिकता का प्रतिपादन सार्वजनिक रूप से किया। यद्यपि रोनाल्ड ने तार से खबरें भेजना संभव कर दिखाया, किंतु आजकल के तारयंत्र के आविष्कार का अधिकाश श्रेय अमरीकी वैज्ञानिक, सैमुएल एफ बी मार्श को है, जिन्होने सन् 1844 में वाशिंगटन और बॉल्टिमोर के बीच तार द्वारा खबरें भेजकर इसका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया। इसके ठीक 6 साल बाद ही भारत मे इसका प्रयोग शुरू हो गया ।
(टेलीग्राम भेजने की पुरानी मशीन )
हिंदुस्तान मे ईस्ट इंडिया कंपनी ने पहला टेलेग्राम कोलकाता से डाइमंड हार्बर भेज कर शुरू किया । इसके बाद तो कंपनी ने भारत के सभी प्रमुख शहरों को टेलेग्राम लाइनों से जोड़ दिया । आज़ाद हिंदुस्तान मे पहले प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने 230 शब्दो का एक टेलेग्राम ब्रिटिश प्रधान मंत्री को भेजा जिसमे कश्मीर मे पाकिस्तान के आक्रमण पर सहायता की अपील की गई थी । हर प्रमुख शहर मे टेलेग्राम ऑफिस खोले गए थे । इसका उपयोग बढ़ाने और कीमत कम कराने के लिए कई तरीके निकाले गए उनमे सबसे मुख्य है कोडेड टेलेग्राम्स । इसमे प्रत्येक संदेश के लिए एक कोड़ होता था । जैसे “दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें” के लिए कोड 4 । इतिहासकारों का मानना है की हिंदुस्तान मे 1857 मे अङ्ग्रेज़ी के दमनकारी शासन के खिलाफ जो सैनिक विद्रोह हुआ था उसे कुचलने मे तार की बहुत बड़ी भूमिका थी ।
शुरू मे तार (टेलीग्राम) पोस्ट ऑफिस के साथ जुड़ा था बाद मे इसे टेलीफोन को दे दिया गया जो स्वाभाविक रूप से भारत संचार निगम के उत्तराधिकार मे आ गया। इसके बंद करने का फैसला अचानक नहीं हुआ । तार की बढ़ती कीमत और मांग की कमी इसके बंद होने का एकमात्र कारण रहा होगा । तकनीक के इस दौर मे जहां मोबाइल टेलीफोनी की क्रांति ने घर घर मे मोबाइल की पहुंच बना दी है वहीं सस्ते एसएमएस और कुछ हद तक मुफ्त एसएमएस ने रही सही कसर पूरी कर दी। व्यापारिक स्तर पर भी देखे तो बैंको के कोर बैंकिंग मे आने के बाद थोक मे कोई ग्राहक नही बचे थे । पुलिस और वकील अभी इनका उपयोग कर रहे थे क्यो की न्यायालयों मे साक्ष्य के रूप मे इनकी मान्यता थी ।
जब भी कोई नई, सस्ती और सुगम टेक्नालजी आती है तो ये सर्व स्वीकार्य होती है और इसलिए पुरानी टेक्नालजी का स्थान बड़े आसानी से ले लेती है। यही मोबाइल टेलेफोनी ने टेलीग्राम के साथ किया। जब आर्थिक रूप टेलेग्राम को चलाते रहना घाटे का सौदा हो गया तो इसे आज नहीं तो कल बंद होना ही था । किन्तु इतिहास मे तार हमेशा हमेशा के लिए अमर रहेगा और सदियों बाद आने वाली पीढ़ी के लिए किस्से कहानियों के कौतूहल से कम नही होगा ।
शिव प्रकाश मिश्रा
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