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शनिवार, 12 नवंबर 2011
गजल
न जाने क्यों लोग
चले जाते हैं
गुमशुम होकर
न जाने किधर
किसकी तलास में
किस हमसफर के ।
मालुम है नही
मिल पायेंगे कभी
फिर भी न जाने क्यों
जी बहुत चाहता हैं उनको ।।
- मंगल यादव, जौनपुर
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