आप सभी को नव् रात्रि की बधाइयाँ।।
मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री के रूप में जानी जाती हैं।
पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के कारण इन्हें शैल पुत्री कहा गया। भगवती
का वाहन बैल है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का
पुष्प है। अपने पूर्व जन्म में यह सती नाम से प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं।
इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। नव दुर्गाओं में शैलपुत्री दुर्गा का
महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। नवरात्र के दौरान प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा व
उपासना की जाती है।
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्।।
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पहले स्वरूप में मां पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में
विराजमान हैं। नंदी नामक वृषभ पर सवार शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल
और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण
इन्हें शैलपुत्री कहा गया। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक माना
जाता है। दुर्गम स्थलों पर स्थित बस्तियों में सबसे पहले शैलपुत्री के
मंदिर की स्थापना इसीलिए की जाती है कि वह स्थान सुरक्षित रह सके।
जय बाबा बनारस.....
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