क्या है सफलता? सफलता में इतना रस क्यों है? आदमी की इच्छाएँ अनंत हैं। इच्छाओं की पूर्ति में आदमी सफलता का अनुभव करता है। बचपन से लेकर बड़े होने तक हम सफलता चाहते हैं। एक बूढ़ा आदमी इसी में सफलता मानता है कि उसके बाल-बच्चे आत्म-निर्भर हो जाएँ ताकि वह शांति पूर्वक मर सके। यानी शांति पूर्वक मरना भी एक सफलता है। हमारी इच्छाएँ जब पूरी नहीं होतीं तो हम थोड़ी देर के लिए असफलता का दंश झेलते हैं। इस तरह आदमी का पूरा जीवन सफलता और असफलता के झूले में झूलता रहता है। जो चाहा उसे पा लिया तो हम सफल हैं तथा जो चाहा उसे नहीं पाया तो हम खुद को असफल मान लेते हैं। कोई चाहे कुछ भी कहे इच्छाओं की पूर्ति में आनंद हैं, सुख हैं, शांति है। इच्छा के रथ पर बैठ कर जब हम इच्छित तक यात्रा संपन्न कर लेते हैं तो हमें जीवन का सुख मिल जाता है। यही सफलता है। और इसी कारण से सफलता में रस है। किन्तु ऐसी सफलता हर बार और हर किसी को नहीं मिलती। कुछ दफा और कुछ लोगों को हीं यह सफलता नसीब होती है। क्या कोई मंत्र है जो हमें सफलता तक जरुर ले जाये? एक किताब दुनिया भर में काफी पढ़ी गयी है और मशहूर हुई है। उसका नाम है - रहस्य (the secret) उस किताब की जो मूल बात है उसे मैं आपके साथ शेयर करना चाहूँगा। जहाँ तक मैंने समझा है, इस पुस्तक के अनुसार जब आप किसी चीज़ की इच्छा करते हैं, तो उस इच्छा में एक आकर्षण होता है। उसी आकर्षण से आकर्षित हो कर इच्छित वस्तु भी आप तक आना चाहती है, और आ भी जाती है। यदि हम इस आकर्षण के सिद्धांत पर शत प्रतिशत भरोसा रखें और मन में किसी तरह की शंका न लायें तो यह आकर्षण का नियम काम कर जाता है और आप इच्छित वस्तु को पाकर सफलता का सुख अनुभव करते हैं। आकर्षण का यही नियम वह रहस्य है जो पुस्तक में लोगों को बताया गया है। पुस्तक का सीडी डीवीडी भी उपलब्ध है जिसे आप सुन देख सकते हैं। आप यदि चाहें तो सफलता के इस गुर को अपनी जिंदगी में अपनाकर परिणाम देख सकते हैं। Please visit this site & gain natural health & complete health solution... http://healthconsultant.
गुरुवार, 11 अप्रैल 2013
(सफलता) The Secret / एक रहस्य
क्या है सफलता? सफलता में इतना रस क्यों है? आदमी की इच्छाएँ अनंत हैं। इच्छाओं की पूर्ति में आदमी सफलता का अनुभव करता है। बचपन से लेकर बड़े होने तक हम सफलता चाहते हैं। एक बूढ़ा आदमी इसी में सफलता मानता है कि उसके बाल-बच्चे आत्म-निर्भर हो जाएँ ताकि वह शांति पूर्वक मर सके। यानी शांति पूर्वक मरना भी एक सफलता है। हमारी इच्छाएँ जब पूरी नहीं होतीं तो हम थोड़ी देर के लिए असफलता का दंश झेलते हैं। इस तरह आदमी का पूरा जीवन सफलता और असफलता के झूले में झूलता रहता है। जो चाहा उसे पा लिया तो हम सफल हैं तथा जो चाहा उसे नहीं पाया तो हम खुद को असफल मान लेते हैं। कोई चाहे कुछ भी कहे इच्छाओं की पूर्ति में आनंद हैं, सुख हैं, शांति है। इच्छा के रथ पर बैठ कर जब हम इच्छित तक यात्रा संपन्न कर लेते हैं तो हमें जीवन का सुख मिल जाता है। यही सफलता है। और इसी कारण से सफलता में रस है। किन्तु ऐसी सफलता हर बार और हर किसी को नहीं मिलती। कुछ दफा और कुछ लोगों को हीं यह सफलता नसीब होती है। क्या कोई मंत्र है जो हमें सफलता तक जरुर ले जाये? एक किताब दुनिया भर में काफी पढ़ी गयी है और मशहूर हुई है। उसका नाम है - रहस्य (the secret) उस किताब की जो मूल बात है उसे मैं आपके साथ शेयर करना चाहूँगा। जहाँ तक मैंने समझा है, इस पुस्तक के अनुसार जब आप किसी चीज़ की इच्छा करते हैं, तो उस इच्छा में एक आकर्षण होता है। उसी आकर्षण से आकर्षित हो कर इच्छित वस्तु भी आप तक आना चाहती है, और आ भी जाती है। यदि हम इस आकर्षण के सिद्धांत पर शत प्रतिशत भरोसा रखें और मन में किसी तरह की शंका न लायें तो यह आकर्षण का नियम काम कर जाता है और आप इच्छित वस्तु को पाकर सफलता का सुख अनुभव करते हैं। आकर्षण का यही नियम वह रहस्य है जो पुस्तक में लोगों को बताया गया है। पुस्तक का सीडी डीवीडी भी उपलब्ध है जिसे आप सुन देख सकते हैं। आप यदि चाहें तो सफलता के इस गुर को अपनी जिंदगी में अपनाकर परिणाम देख सकते हैं। Please visit this site & gain natural health & complete health solution... http://healthconsultant.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें