शनिवार, 29 सितंबर 2012
प्यार का रांग नंबर
नया साल मुबारक हो...कैसी हो... अचानक महिमा के मोबाइल फोन पर एक अन्जाना फोन आया..। महिमा ने जवाब में नए साल की मुबारकवाद उसे भी दी। मगर पूछ ही लिया आप कौन हैं..कहां से बात कर रहे हैं। फोन वास्तव में किसी अपरिचित का ही था। लड़के ने फोन पर कहा आप के दिल के करीब का कोई शख्स..कहकर फोन रख दिया।
महिमा के मन में गूंजता रहा आखिर कौन है... दिन और रात पहली जनवरी को सोचती रही लेकिन दिमाग में किसी का नाम नही आया। आखिरकार महिमा ने देर रात फोन कर ही दिया। रात को लंबी बात हुई। बातचीत में पता चला कि रॉग नंबर है। संयोगवस लड़का महिमा के बिरादरी का ही निकला। और महिमा के घर से करीब 30 से 40 किमी के दूरी पर लड़के का भी घर था। लड़का एमबीए करके मंबई में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता है। महिमा से फोन पर बात करके लड़के ने अपना दिल महिमा को दे बैठा। महिमा भी फोन पर लड़के के बातचीत से इतनी प्रभावित हुई कि खुद को रोक ना सकी।
इस तरह से शुरु हुआ दोनों में प्यार का रॉग नंबर का सिलसिला। बातें होती रही दोनों में..। कई प्यार की बातें करते दोनों में कई महीने और फिर साल गुजर गए। महिमा अब सयानी हो चली थी। महिमा के परिजन अपनी प्यारी बेटी को बीएड में भी नाम लिखवा दिए।
शादी के लायक बेटी के हो जाने के बाद के महिमा के पिता जी बिरादरी का कोई अच्छा सा लड़का ढूढ़ने चले। जब ये बात महिमा को पता चली तो महिमा के होश ठिकाने ना रहे। महिमा का दिल उस रॉग नंबर वाले लड़के पर आ चुका था। परिजन महिमा की प्रेम कहानी से अंजान थे। महिमा ने ये सारी बात अपनी बहन से बताई। बहन से इसी लड़के से शादी करने की अपनी इच्छा भी जताई। घर वालों को महिमा की बहन ने बताया कि उसकी सहेली का भाई है। जो महिला के योग का है। महिमा के परिजनों ने लड़के को बुलवाकर अपने घर के नजदीकी बाजार में देखा। अफसोस रहा कि लड़का महिला के परिजनों का पसंद नही आया।
महिमा दिन-रात यह जानकर बड़ी दुखी रहती है कि अब उसकी शादी नही हो पाएगी। महिमा परिजनों से बगावत पर उतर आई। आखिरकार महिमा की बगावत रंग लाई। परिजन महिमा के शादी करने पर राजी हो गए।
महिमा के भाई-बाप समेत कई रिश्तेदार तो इस शादी के पक्ष में नही थे। लेकिन महिमा ने साफ कर दिया कि वह शादी करेगी तो जौनपुर में मड़ियाहूं के उस छोरे से जिसे वह प्यार करती है। सात दिसंबर 2012 को महिमा की शादी तय हो गई।
इस तरह से रॉग फोन नंबर किसी लड़की का सुहाग बन गया। अक्कर ऐसा फिल्मों में ही होता है लेकिन मैने अपनी जिंदगी में करीब से किसी लड़की को देखा जो अनजान लड़के से फोन पर बात करती है फिर अपना दिल दे बैठती है। और फिर अपनी सारी जिंदगानी। इस तरह से एक प्यार का रांग नंबर ने जिंदगी बदल दी किसी लड़की की। जो अपने कॉलेज के दिनों में खेलकूद में हिस्सा लिया करती थी। और कभी मेरे साथ पढ़ती भी थी।
by mangal yadav story
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें