निन्दन्तु नीति निपुणा यदिवा स्तुवन्तु ,लक्ष्मी समाविशतु ,गच्छतु वा यथेष्ठटम ,
अद्यैव मरण मस्तु युगंतारेव ,न्यायात प्रविचलन्ति .पदम् न धीरः
"
लोग निंदा करें या स्तुति करें ,धन आवे या हम कंगाल हो जाएँ .
अभी मर जाएँ या युगों के बाद मर जाएँ ,
लेकिन सत्य के मार्ग से विचलित नहीं हो सकते .
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