tag:blogger.com,1999:blog-4107023095685977479.post7496712514511241455..comments2023-09-28T14:36:01.371+05:30Comments on पूर्वांचल ब्लॉग लेखक मंच: • अन्ना की जीतहरीश सिंहhttp://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4107023095685977479.post-25473439278690120032011-09-03T21:40:18.406+05:302011-09-03T21:40:18.406+05:30जन तंत्र में जन ही सर्वोपरि है चाहे वो सड़क पर हो ....जन तंत्र में जन ही सर्वोपरि है चाहे वो सड़क पर हो ...या संसद में....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4107023095685977479.post-28552625363249191752011-09-01T22:07:23.181+05:302011-09-01T22:07:23.181+05:30इस जीत में जीत को धुनने का प्रयास मैं अभी तक कर रह...इस जीत में जीत को धुनने का प्रयास मैं अभी तक कर रहा हूँ पर मुझे वो मिल ही नहीं रही हिया , जिन 16 मैंगों के साथ अनशन शुरू हुआ था वो तो अभी भी अधूरी हैं , हाँ ३ लोगों ने अपने प्राण अवश्य गवाए हिं जिनके बारे में टीम अन्ना ने २ शब्द भी नहीं कहे <br /><br /><a href="http://nationalizm.blogspot.com/2011/09/blog-post.html" rel="nofollow">ज्ञान , धन और समाज के लिए ज्ञान का महत्त्व</a><br />http://nationalizm.blogspot.com/2011/09/blog-post.htmlअंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4107023095685977479.post-70990401133258799412011-08-30T12:43:37.113+05:302011-08-30T12:43:37.113+05:30सोमवार, २९ अगस्त २०११
क्या यही है संसद की सर्वोच्च...सोमवार, २९ अगस्त २०११<br />क्या यही है संसद की सर्वोच्चता ?<br />जहां अध्यक्ष लाचार है ,बारहा कह रहा है हाथ जोड़ कर "बैठ जाइए ,बैठ जाइए "और वक्ता मानसिक रूप से बीमार है .शेष सांसद मानो बंधक बने बैठे हों ,और वक्ता हर वाक्य के अंत में "हप्प हप्प "करता हो ,चेहरे को गोल गोल बनाके इधर उधर घुमाता हो .उपहासात्मक मुख मुद्रा बनाए हुए .दो तरह का भाव होता है वक्ता का एक संवेगात्मक और एक एहंकार का .यहाँ कायिक मुद्रा में भी दंभ है प्रपंच है .क्या यही है -"संसद की सर्वोच्चता "?जो लोग संसद में ,मर्यादा बनाके नहीं रख सकते,ठीक से खड़े नहीं हो सकते , वही लोग संसद के बाहर "विशेषाधिकार हनन की बात करतें हैं .<br />जय अन्ना !जय भारत !जय किरण बेदी जी ....जय! जय !जय<br />इसी चीनी एजेंट ने रामदेव जी के साथ बदसुलूकी करवाई थी .<br />भाई साहब इस आदमी का असली नाम श्याम राव है ,यह आंध्र प्रदेश से १९६७-६८ के आस पास हरियाणा के हिसार स्थित छाज्जू राम जाट महाविद्यालय में पधारे थे ,इन्होनें तत्कालीन प्राचार्य के सम्मान में अपना भाषण पढ़ा था .रात इन्होनें हमारे परम मित्र डॉ .नन्द लाल मेहता "वागीश "जी के संग बिताई थी जो उस वक्त इसी महाविद्यालय में हिंदी विभाग में व्याख्याता थे ।हम उन दिनों नेशनल कोलिज सिरसा में थे .हरयाना का तब आखिरी जिला था मंडी डबवाली से सटा हुआ .<br />कुछ अरसे बाद मेहता जी की इनसे भेंट हरयाना के झज्जर नगर (अब जिला ) में स्वामी अग्नी वेश के रूप में हुई .वाणी के प्रखर इस कुतर्क पंडित में सबको अपने माया जाल में फंसाने की क्षमता है .तब कोर्पोरेट समितियों के सेवा निवृत्तडिपुटी रजिस्ट्रार श्री कर्ण सिंह (झज्जर निवासी )जो गुडगाँव से सेवा निवृत्त हुए थे ने मित्र वर -मेहता जी को बतलाया था ,ये भगवा धारी कई मर्तबा "चीनी दूतावास "से निकलता बड़ता देखा गया है .इसे चीन ने हिन्दुस्तान से आर्य समाज को समूल नष्ट करने के लिए इम्प्लांट किया है .अपने उस मिशन में यह कमोबेश ही कामयाब रहा है .तब मेहता जी इसके भगवा वस्त्रों का लिहाज़ कर गए थे ।लेकिन यह नक्सली है .<br />हमारे पास पक्की खबर है "स्वामी राम देव "को रामलीला मैदान से गए रात अपमानित करवाने वाला यही खर दिमाग "स्वामी छद्म वेश "था .मेहता जी अर्बन इस्टेट सेक्टर चार,गुडगाँव में रहतें हैं .तब वह इनका लिहाज़ कर गए थे ,उम्र ही क्या थी तब हम लोगों की .आज वह सब कुछ बताने को तत्पर हैं .<br />रविवार, २८ अगस्त २०११<br />कपिल मुनि के तोते .<br />कपिल मुनि के तोते .<br />हमसे हमारे भतीजे साहब शाम को पूछ रहे थे -फूफा जी ये "स्वामी अग्नी बीज "अचानक मंच से रंग मंच में कैसे पहुँच गए .हमने कहा भैया ये "कपिल मुनि उर्फ़ अपने काले कोट वाले भैये के तोते निकले ",ये फोनवा पे बतिया रहे थे -कपिल मुनि आपने जल्दी गिव अप कर दिया ,वरना इस अन्ने की क्या औकात "पिद्दी न पिद्दी का शोरबा ",अपने वीरू अन्ने भाई ने सुन लिया पेलवान .अब ये भगवा कपट पंडित ,कुतर्क मुनि छिपता दोल रिया है .अपने अन्ने वीरू भाई की टीम इस घुन्ने चकर घन्ने प्रोफ़ेसर अभूत- पूर्व से बारहा पूछ रही है -भैये ये कपिल मुनि कौन हैं जो अब तक जनतंत्र की अर्थी निकाल रहे थे ,अपने अन्ने की तेरहवीं करने की फिराक में थे .भैये ये तभी से लापता हैं ,साथ में मंद मति बालक को लिए हैं जो कल तक किसी राजा -छिद्दी के साथ था .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com